उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के ग्यारह जिलों में दो हजार से ज्यादा शिक्षक एसटीएफ के रडार पर हैं। क्योंकि इन शिक्षकों ने अपनी नियुक्ति के दौरान फर्जी डिग्री या फिर आरक्षण के फर्जी दस्तावेज लगाए हैं।

लिहाजा अब ये खेल पकड़े जाने के बाद इन शिक्षकों पर रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेजने की तैयारी है। हालांकि इस तरह के मामले पहले भी आज चुके हैं। लेकिन इस बार शिक्षकों की संख्या काफी ज्यादा है। यही नहीं शिक्षा विभाग के बाबू भी एसटीएफ के रडार पर हैं।

असल में सरकारी नौकरी हथियाने के लिए शिक्षा विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की मदद से फर्जी डिग्री का खेल चल रहा है। अब इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया हैं।

क्योंकि जिन शिक्षकों ने फर्जी डिग्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विकलांग समेत विभिन्न तरीके से फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी हासिल की है, अब उनकी जांच शुरू हो गयी है और ये सभी एसटीएफ की रडार पर आ गए हैं।

जानकारी के मुताबिक गोरखपुर मंडल समेत पूर्वांचल के ग्याहर जिले में करीब दो हजार शिक्षकों ने फर्जी डिग्रियों के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की है और ये सभी एसटीएफ के रडार पर है। असल में इस खेल में शिक्षा विभाग के अफसर और कर्मचारियों का दामन भी दागदार है।

इन शिक्षकों की नियुक्ति में करोड़ों रुपये का बड़ा खेल सामने आया है और इसकी जांच चल रही है। लिहाजा शिक्षा विभाग के बाबुओं की मिलीभगत सामने आने के बाद फर्जी शिक्षकों के साथ बाबू भी जेल के पीछे जा सकते है। 

असल में कुछ दिन पहले प्रदेश के देवरिया जिले के फर्जी कागजात तैयार करने वाले गिरोह का सरगना अश्वनी कुमार श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया था। जिसने पूछताछ में बड़े राज खोले हैं। जिसके बाद शिक्षा विभाग में इसकी जांच और तेज हो गयी है।

वहीं फर्जी कागजात के बदौलत नौकरी करने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसने के लिए एसटीएफ ने गोरखपुर, देवरिया और सिद्वार्थनगर समेत 11 जिले के बीएसए को पत्र भेजकर कुंडली मांगी है। श्रीवास्तव फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज तैयार करने के बदले दस हजार से लेकर एक लाख रुपये लेता था।

उसी फर्जी कागजात के सहारे शिक्षा विभाग की गठजोड़ से नौकरी मिलना आसान हो जाती थी। जांच में ये भी आया है कि अभी तक श्रीवास्तव करीब दस हजार से ज्यादा लोगों को फर्जी डिग्री और दस्तावेज उपलब्ध करा चुका है।