राज्य में 13 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। लेकिन मायावती ने अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लेकिन अखिलेश यादव ने मायावती के खिलाफ अभी तक कोई बड़ा बयान नहीं दिया है। लेकिन अब अखिलेश मायावती को राजनैतिक तौर पर पटखनी देने की तैयारी में हैं।
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश उभरे ही नहीं थे। बसपा प्रमुख मायावती ने चुनावी गठबंधन तोड़कर अखिलेश को राजनैतिक तौर पर खत्म कर दिया। जिस गठबंधन के लिए अखिलेश यादव ने कई दिग्गजों की सलाह को दरकिनार किया उसी गठबंधन को मायावती ने एक ही झटके में तोड़ दिया। लिहाजा अब अखिलेश अपने बुआ यानी मायावती को इस तरह से झटका देने की तैयारी में हैं।
राज्य में 13 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। लेकिन मायावती ने अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लेकिन अखिलेश यादव ने मायावती के खिलाफ अभी तक कोई बड़ा बयान नहीं दिया है। लेकिन अब अखिलेश मायावती को राजनैतिक तौर पर पटखनी देने की तैयारी में हैं। अखिलेश अपनी रणनीति के तहत बसपा में नाराज चल रहे नेताओं को तोड़कर सपा में शामिल करा रहे हैं।
इससे एक तरफ बसपा कमजोर होगी और उसका वोटबैंक पर असर होगा। अखिलेश ने बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दयाराम पाल को सपा में शामिल करा लिया है। दयाराम पाल किसी दौर में मायावती के करीबी माने जाते थे। लेकिन मायावती ने उन्हें पार्टी में अलग थलग किया हुआ था। दयाराम पाल के साथ ही उनके तीनों बेटों ने सपा की सदस्यता ली।
दयाराम पाल के साथ ही बसपा के बिहार और छत्तीसगढ़ राज्यों में बसपा प्रभारी रहे और बलिया जोन इंचार्ज मिठाई लाल भारती ने भी सपा की सदस्यता ली। इसके साथ ही करीब एक सौ बसपा के नेताओं ने सपा की सदस्यता ली है। इसे बसपा के लिए झटका माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले सपा ने कई बसपा के नेताओं को पार्टी में शामिल किया था। जिसमें इंद्रजीत सरोज समेत कई बसपा के दिग्गज नेता सपा में शामिल हुए थे।
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में सपा और बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए हाथ मिलाया था। लेकिन लोकसभा चुनाव में बसपा ने दस सीटों पर जीत हासिल की जबकि सपा में महज पांच सीटें ही मिली। हालांकि इसके बाद मायावती ने सपा से चुनावी गठबंधन तो तोड़ दिया था। जबकि माया ने चुनाव से पहले दावा किया था कि सपा और बसपा के बीच चुनावी गठबंधन विधानसभा चुनाव तक चलेगा।
Last Updated Sep 21, 2019, 2:07 PM IST