नई दिल्ली।  देश ने आज एक नया मुहाम बना बनाया है। देश में समुद्र तल से करीब दस हजार फुट की ऊंचाई पर बनी अटल टनल (रोहतांग टनल) काम दस साल में पूरा हो गया है। जबकि इसको बनाने के लिए छह साल का लक्ष्य रखा गया था। टनल की बाधा को दूर करने के लिए भारत को दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों और सर्वश्रेष्ठ तकनीक का सहारा लेना पड़ा और आखिरकार देश के इंजीनियर अपने कार्य में सफल हुए। अगर टनल को बनाने में बाधाएं सामने न आती तो  देश के बहादुर इंजीनियर इसे महज छह साल में बना देते। दुनिया की सबसे लंबी टनल का उद्घाटन आज पीएम नरेन्द्र मोदी ने किया।

असल में बीआरओ इस टनल को बना रहा था और टनल पूरा होने का लक्ष्य भी 1400 दिन आगे बढ़ गया। क्योंकि इसको बनाने में कई तरह की बाधाएं सामने आई थी। पहाड़ी के अंदर से जब टनल का रास्ता निकाला जा रहा था तो यहां पर एक छोटे से सुराख के जरिए पानी का तेज बहाव आने लगा और इसे बंद करना आसान न था क्योंकि इंजीनियर उसे बंद करने का प्रयास करते लेकिन वह बढ़ता ही जा रहा था। लेकिन बीआरओ ने हिम्मत दिखाते हुए इसमें सफलता हासिल की।  हालांकि इस कार्य में चार साल लगे और खर्च भी बढ़ा, लेकिन अटल टनल तैयार हो गई। इस टनल के शुरू होने से मनाली से स्पीति का रास्ता पूरे साल खुला रहेगा और आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं होगी। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया की सबसे लंबी इस हाइवे टनल का उद्घाटन करेंगे।

इस टनल के बारे में बीआरओ के कर्नल सूरजपाल सिंह सांगवान का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम शुरू किया था। काम आगे बढ़ रहा था। लेकिन पहाड़ी के भीतर एक वाटर चैनल निकल आया और इसके जरिए पानी ने ऐसी तेजी पकड़ी कि उसे रोक पाना मुश्किल हो गया। इसके कारण टनल के काम में देरी हुई। इसके लिए विश्व के कई देशों से तकनीकी एक्सपर्ट बुलाए गए। लेकिन बात में इस कार्य में इंजीनियर को सफलता मिली।

पानी को रोकने के लिए विदेशों से लाए गए केमिकल का इस्तेमाल किया गया और इसके बाद वेल्डिंग तकनीक के जरिए छेद बंद करने की मुहिम शुरू हुई। जानकारी के मुताबिक अटल टनल पर सर्विलांस के कई हाईटेक उपकरण लगाए गए हैं। देश के इंजीनियर के अथक प्रयासों से निर्मित अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है। इसकी निर्माण लागत करीब 3200 करोड़ रुपये बताई गई है और इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर लंबी है और इसके जरिए मनाली सालभर लाहौल-स्पीति घाटी से जुड़ा रहेगा।