कोर्ट के फैसले में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे उस समय दिल्ली पुलिस का रवैया बेनकाब होता है। यह दर्शाता है कि कैसे दिल्ली पुलिस कानून का पालन करने के बजाय अपने राजनीतिक आकाओं के इशारों पर काम कर रही थी।
1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया है। इस फैसले से यह भी पता लगता है कि दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के दौरान रक्षक कैसे भक्षक बन गए। दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी लोगों की जान बचाने की थी लेकिन इसके उलट वह दोषियों को भड़काने और सिखों को निशाना बनाने के लिए उनकी मदद करने में लगे थे।
कोर्ट के फैसले में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे उस समय दिल्ली पुलिस का रवैया बेनकाब होता है। यह दर्शाता है कि कैसे दिल्ली पुलिस कानून का पालन करने के बजाय अपने राजनीतिक आकाओं के इशारों पर काम कर रही थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, दिल्ली पुलिस ने महत्वपूर्ण गवाहों को नहीं सुना। उसने दंगों में शामिल कांग्रेस के नेताओं की मदद की और उनका पक्ष लिया।
आरोप हैं कि उस समय दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने भी भीड़ को उकसाया। एक गवाह के मुताबिक, भीड़ ने निर्मल सिंह पर केरोसिन डाला लेकिन उनके पास आग लगाने के लिए माचिस नहीं थी। वहां एक पुलिसकर्मी खड़ा था। इंस्पेक्टर कौशिक ने कथित तौर पर भीड़ से कहा, 'डूब मरो, तुमसे एक सरदार भी नहीं जलता।' इसके बाद उसने एक आरोपी को माचिस दी और निर्मल सिंह को आग लगा दी गई।
उस समय दिल्ली में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए विभिन्न जगहों पर तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ ऐसे कई आरोप हैं। इसी तरह, एक अन्य असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआई) पर कथित तौर पर आरोप है कि जब एक सिख महिला अपने बेटे की मौत का मामला दर्ज करने की गुहार लगा रही थी उससे कहा गया, 'भाग यहां से, अभी और मरेंगे, जब सब मर जाएंगे, जो कुछ होगा, सबका इकट्ठा होगा।'
दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा, 'कानून-व्यवस्था की हालत बिल्कुल चरमरा गई थी और जो हालात बने वह पूरी तरह छूट मिलने जैसे थे। आज तक उन यातनाओं का दर्द महसूस हो रहा है।'
कोर्ट ने इस मामले में कई खामियों का जिक्र करते हुए कहा, ' तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बनी परिस्थितियों के बाद भड़की हिंसा की जांच करने में पुलिस पूरी तरह नाकाम रही। कुछ परिस्थितियों को यहां उजागर किया गया है।'
कोर्ट ने कहा, 'पांच लोगों को मौतों से जुड़े मामले में पुलिस अलग से एफआईआर दर्ज करने में नाकाम रही। किसी भी घटना को डायरी नहीं किया गया।' साथ ही कोर्ट ने कहा, 'यह आजादी के बाद की सबसे बड़ी हिंसा थी। इस दौरान पूरा तंत्र फेल हो गया था। यह हिंसा राजनीतिक फायदे के लिए करवाई गई थी। सज्जन कुमार ने दंगा भड़काया था।'
Last Updated Dec 17, 2018, 8:38 PM IST