अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भारत के दौरे पर हैं। हैदराबाद हाउस में उनकी पीएम मोदी से मुलाकात हुई है। दोनों नेताओं के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और दोनों देशों के बीच विकास की साझेदारी सहित कई मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों देशों के रिश्तों के लिए मोदी और गनी की यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। 

विदेश मंत्रालय ने भी अफगानिस्तान को ‘रणनीतिक साझेदार और मूल्यवान पड़ोसी’के रुप मे स्वीकार किया है।  बुधवार को हुई मुलाकात में गनी ने मोदी को गंभीर आंतरिक संघर्ष से जूझ रहे अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की जानकारी दी। 

 


भारत के लिए अफगानिस्तान की भूमिका बेहद अहम है। इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और अफगानिस्तान के बीच यह पहली शिखर वार्ता हुई। इस वार्ता का महत्व दोनों देशों के आपसी रिश्तों के लिए तो है ही, पाकिस्तान के साथ भी भारत रिश्तों पर भी इसका असर दिख सकता है। 

अफगानिस्तान के वर्तमान राष्ट्रपति अशरफ गनी तालिबान के साथ समझौते के पक्ष में हैं, लेकिन तालिबान उनकी सरकार को अफगानिस्तान की वैध सरकार नहीं मानता। 
लेकिन भारत, अफगानिस्तान के नेतृत्व में होने वाली शांति वार्ता का समर्थन करता है। इसका अर्थ यह निकाला जा सकता है, कि वह अफगान सरकार और तालिबान के बीच की वार्ता में पाकिस्तान की भूमिका को कम करना चाहता है। 

 हालांकि पाकिस्तान इतनी आसानी से अफगानिस्तान का पीछा छोड़ने वाला नहीं है, वह अफगानिस्तान पर अपना विशेषाधिकार समझता है। क्योंकि पिछले चालीस साल में अफगानिस्तान में फैली अशांति की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान को इतना महत्व देता रहा है। पहले सोवियत संघ विरोधी जिहादी अभियान के कारण और बाद में अमेरिकी कार्रवाई के दौरान अफगानिस्तान को जाने वाले रास्ते पर नियंत्रण होने की वजह से। 

अफगानिस्तान के रास्ते में पाकिस्तान के पड़ने के कारण ही दुनिया भर के देश उसकी तमाम गुस्ताखियों से आंखें मूंदे रहते हैं। 

लेकिन अफगान लोग पाकिस्तान को कतई पसंद नहीं करते हैं। वहीं भारत की इज्जत अफगानिस्तान में बहुत ज्यादा है, क्योंकि भारत का अफगानिस्तान में दखल रचनात्मक रहा है। भारत ने कभी अफगानिस्तान में सेना नहीं भेजी बल्कि वहां सड़क,अस्पताल, पुल, स्कूल जैसे शांतिपूर्ण निर्माण के कामों में हाथ बंटाया है।
 
हाल ही में भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने काबुल जाकर दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी सहयोग के गठित कार्यसमूह की बैठक में भाग लिया था। अब गनी और मोदी इस सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीके तलाश कर रहे हैं।