केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा प्रशिक्षित खोजी कुत्ते भले ही कई संवेदनशील अभियानों में अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन लगता है कि वे केंद्रीय गृहमंत्रालय की प्राथमिकता सूची में नहीं हैं। सीआरपीएफ द्वारा बंगलूरू में चलाए जा रहे डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग स्कूल (डीबीटीएस) के लिए 186 कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती की अनुमति का अनुरोध गृहमंत्रालय ने ठुकरा दिया है। 

इस सेंटर पर 860 कुत्तों के प्रशिक्षण और देखभाल की जिम्मेदारी है। 174 कुत्तों को अभी ट्रेनिंग दी जा रही है। लेकिन सेंटर चलाने के लिए सिर्फ 42 पद भरने की अनुमति ही दी गई है। इन 42 पदों में से 27 को 2012 में ही स्वीकार किया जा चुका है। नक्सली इलाकों में संवेदनशील अभियान के दौरान बल द्वारा प्रशिक्षित कुत्ते अहम भूमिका निभाते हैं। पिछले साल एक आईईडी धमाके में एक प्रशिक्षित कुत्ते की भी मौत हो गई थी। हैरानी की बात यह है कि शेष पदों को मंजूरी देने की प्रक्रिया को चार साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। 

सीआरपीएफ में स्थिति काफी खराब हैं। यहां जनरल ड्यूटी में तैनात जवानों से डॉग हैंडलर का काम कराया जा रहा है। सीआरपीएफ में इस समय 1900 लोग कुत्तों के हैंडलर हैं। लेकिन कागचों में यह आंकड़ा महज 50 ही है, जबकि प्रत्येक कुत्ते पर दो हैंडलर होना जरूरी है। 

बल के अधिकारियों के अनुसार, 'कर्मचारियों की इतनी कम संख्या में सेंटर को चलाना लगभग नामुमकिन है। इससे अत्यधिक संवेदनशील जगहों में जवानों की मदद करने वाले कुत्तों का प्रशिक्षण भी प्रभावित होता है।'

मंत्रालय की ओर से सीआरपीएफ से दूसरे बलों के सेंटरों की तरह ब्यौरा मांगा गया था। इस समय कई सेंटर अनुबंध के आधार पर चल रहे हैं। डीबी और टीएस तरालू को अगस्त 2011 में शुरू किया गया था। तब यहां 15 पिल्ले और 6 विभिन्न नस्लों के कुत्ते थे। पहले बैच के पिल्लों का प्रशिक्षण पहली सितंबर, 2011 में शुरू हो पाया था। 

सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'माय नेशन' को बताया, 'केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2012 में 27 पदों वाले संस्थान को मंजूरी दी थी। प्रशिक्षण की जरूरतों की ध्यान में रखते हुए सीआरपीएफ ने गृहमंत्रालय से संस्थान की क्षमता विभिन्न अधिकारियों के समेत 186 करने का अनुरोध किया था। हालांकि गृहमंत्रालय केवल 42 पदों पर ही सहमत हुआ। यानी पूर्व के पदों में महज 15 पद ही जोड़े गए। इस  संबंध में आधिकारूक अनुमति का अनुरोध केंद्रीय मंत्रालय के समक्ष लंबित है। सीआरपीएफ की ओर से 2014 में यह प्रस्ताव भेजा गया था, उसे वर्चुअल मंजूरी इसी साल मिली है।'

सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'माय नेशन' को बताया, 'केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से सेना सहित दूसरे बलों में डॉग्स सेंटरों का ब्यौरा मांगा गया था। इसमें पूछा गया ता कि दूसरे बल डॉग ट्रेनिंग सेंटर कैसे चला रहे हैं। इन केंद्रों को चलाने वाले कर्मचारी और अधिकारी कितने हैं। लेकिन हकीकत यह है कि स्टॉफ की कमी के कुत्तों को प्रशिक्षण देने का काम प्रभावित हो रहा है।'

जब सीआरपीएफ से इस मामले पर आधिकारिक टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया तो अधिकृत प्रवक्ता ने किसी भी सवाल पर प्रतिक्रिया नहीं दी।