पंजाब के संगरूर जिले 109 घंटे से बोरवेल में फंसा दो साल का फतेहवीर आखिरकार अपनी जिंदगी की जंग हार गया। पांच दिन से उसे बचाने के लिए चलाया गया रेस्कयू आपरेशन खत्म तो हुआ, लेकिन फतेहवीर की सांसों ने जवाब दे दिया। उसे बोरवेल से बाहर निकालने जाने के तुरंत बाद अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। दो साल का फतेहवीर 6 जून को घर के सामने ही खेतों में बने 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था।

सेना और एनडीआरएफ ने फतेहवीर को बचाने के लिए रेस्कयू आपरेशन शुरू कर दिया था। दो साल के फतेहवीर को बचाने के लिए लोग मंदिर और गुरुद्वारों में प्रार्थना कर रहे थे। लेकिन फतेहवीर जिंदगी की जंग हार गया। आज सुबह उसे बोरवेल से निकाला गया और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया,  लेकिन वहां इसकी सांसों ने उसका साथ छोड़ दिया और उसकी मौत हो गयी।

उसे बचाने के लिए पांच दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। पांच दिन पहले फतेहवीर सिंह के बोरवेल में फंसे होने की जानकारी मिलते ही सेना-एनडीआरएफ की टीमें इसे बचाने में जुट गयी थी। कड़ी मशक्त के बाद सोमवार को बोलवेल के बराबर में सुरंग खोदी गयी और उसे बाहर निकाला गया।

वहां पर किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टरों की टीम पहले से ही मौजूद थी। सोमवार को ही फतेहवीर का जम्मदिन था। फतेहवीर सिंह के सुरक्षित बाहर निकालने को लेकर इलाके में दुआएं मांगने, प्रार्थना और अरदास करने का सिलसिला लगातार जारी था। लोग उसके लिए दुआ मांग रहे थे।

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दो साल का फतेहवीर अपने माता पिता गगनदीप कौर और सुखविंदर सिंह की अकेली संतान थी। फतेहवीर को बचाने के लिए स्थानीय लोगों और प्रशासन पूरी ताकत झोंक दी थी इस  भीषण गर्मी में भी लोग उसको बचाने के लिए सेना और प्रशासन की मदद में जुटे थे।