लखनऊ। आजम खान उत्तर प्रदेश की सियायत का ऐसा नाम जो अपने विवादित बयानों और कामों के लिए जाने जाते हैं। रामपुर से दस बार विधायक चुने जाने वाले आजम खान अब लोकसभा सदस्य हैं। कभी रामपुर की सियासत में नवाब परिवार का दखल होता था और उसको तोड़कर आजम खान ने रामपुर में वो मुकाम बनाया जो बनाना किसी आम आदमी के लिए मुश्किल था।

आजम खान उत्तर प्रदेश में मुस्लिम राजनीति का बड़ा चेहरा हैं और खासतौर से समाजवादी पार्टी के। लेकिन पिछले छह महीने से आजम खान की सियासत पर मानों किसी की नजर लग गई है। जो भाजपा और संघ कभी आजम के निशाने पर रहते थे और आज आजम उन्हीं के निशाने पर आ गए हैं। आज हालात ये हैं कि आजम खान को रामपुर आने में डर लगता है। उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

लिहाजा ईद मनाने के बाद आजम खान सीधे दिल्ली चले गए। वहीं अब रामपुर में आजम खान की छोड़ी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। अगर इस सीट पर सपा को हार मिलती है तो ये तय है कि रामपुर में आजम खान की जड़ें खत्म हो जाएंगी भले ही वह रामपुर से सांसद रहें। इस सीट को जीतने के लिए भाजपा ने तीन महीने से पहले से तैयारी कर ली है। सपा इस सीट पर किसे टिकट देती है ये तय नहीं है लेकिन इस सीट पर सपा को टक्कर मिलनी तय है क्योंकि लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था।  लिहाजा इस बार सपा को दो मोर्चों पर लड़ना होगा और अगर उसे शिकस्त मिलती है तो रामपुर में आजम की सियासत खत्म हो जाएगी।

खत्म हो गया है रामपुर में रूतबा

ये भी कहा जाता है कि आजम खान सनकी भी हैं और जिद्दी भी। लेकिन जब हाथ में सत्ता होती है तो ये सनक और जिद पागलपन की हद तक जाती है। शायद कुछ ऐसा ही आजम खान के साथ हुआ। जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तो प्रदेश में आजम खान की समानांतर सरकार चलती थी। आजम के विभागों में कोई दखल नहीं देता था यहां तक कि अखिलेश यादव भी आजम खान के विभाग में हस्तक्षेप नहीं करते थे। आजम खान ने यूपी में जो कराना चाहा वो कराया।

रामपुर में तो वह एक तरह से मुख्यमंत्री थे। पुलिस से लेकर स्थानीय प्रशासन सब आजम के सामने नतमस्तक। आजम को पसंद आता था तो कुछ भी लुटाने को तैयार होते थे और मन न आता तो अंजाम खुदा ही जानता था। लेकिन आज हालत ये हैं कि आजम के करीब अब खुद को आजम का रिश्तेदार बताने से कतरा रहे हैं।

क्योंकि सबको मालूम है कि राज्य में सत्ता बदल गई है और आजम का साथ देने वालों का अंजाम वही हो सकता है जो किसी दौर में आजम ने रामपुर के नवाब के परिवार के करीबी लोगों का किया था। आजम खान ने नवाब परिवार की रामपुर में सियायत खत्म करने के लिए सभी हथकंड़े अपनाए। लिहाजा आज यही उनकी मुसीबत बनते जा रहे हैं।  

अवैध निर्माण बने गले की हड्डी

समाजवादी पार्टी की पांच साल की सरकार में आजम खान ने नियमों को तांक रखकर रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय बनाया, रिसार्ट बनाया और स्कूल बनवाए। आजम के तमाम रिश्तेदारों ने रामपुर में अवैध संपत्तियों पर कब्जा किया और आजम की सरपरस्ती में जितने अवैध निर्माण हो सकते थे वो कराए। लेकिन अब यही आजम की मुसीबत बन गए हैं।

योगी ने बांध दिया नियमों में

राज्य में योगी सरकार के आने के बाद आजम खान के बुरे दिन शुरू नहीं हुए। क्योंकि आजम खान के खिलाफ योगी सरकार ने इतनी तेजी से काम नहीं किया बल्कि इसके लिए सबूत जुटाए, क्योंकि योगी सरकार को अच्छी तरह से मालूम था कि बगैर सबूत के आजम खान छूट जाएंगे और इसे बढ़ा मुद्दा बनाएंगे। जिसके कारण राज्य सरकार की किरकिरी होगी। लिहाजा सरकार बनने के दो साल के बाद ही योगी सरकार ने आजम के खिलाफ मोर्चा खोला।

हालांकि पहले आजम खान को लग रहा था कि योगी सरकार उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगी। इसके लिए योगी सरकार ने वहां पर जिलाधिकारी के तौर पर आंजनेय कुमार सिंह को भेजा और साथ ही सख्त माने जाने वाले अजयपाल शर्मा को रामपुर का एसपी बनाया। अभी तक जितनी भी कार्यवाही आजम खान के खिलाफ हुई है। उन्हें नियमों के मुताबिक ही किया गया है। रामपुर पब्लिक स्कूल का निर्माण अवैध चल रहा था और उसे बंद किया गया।

जबकि आजम के समधी का होटल अवैध चल रहा उसके बंद किया गया। लोक निर्माण विभाग की जमीन पर जौहर विश्वविद्यालय का गेट बना है। उसको तोड़ने का आदेश दिया गया। असल में आजम भी जानते हैं जो भी कार्यवाही हो रही है। वह कुछ नहीं कर सकते हैं। लिहाजा चुप हैं। यही नहीं रामपुर के दो दर्जन किसानों ने हाईकोर्ट में जमीन हथियाने के लिए शपथ पत्र दिए हैं।
खत्म हो गई है रामपुर में सियासत

आजम खान कभी खुद को रामपुर का सीएम कहते थे वह अब रामपुर आने से भी डर रहे हैं। आजम के खिलाफ करीब पांच दर्जन से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं और ये सभी जमीन हथियाने, अवैध निर्माण और सरकारी जमीनों पर कब्जे के हैं। शुक्रवार को आजम खान के रिसार्ट हमसफर की बाउंड्रीवाल रामपुर जिला प्रशासन ने तोड़ी दी है। जबकि आजम खान पिछले एक हफ्ते से रामपुर नहीं आए। हालांकि वह बकरीद पर आए और जिला प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। जबकि उनके ऊपर लगी धाराओं पर कभी भी गिरफ्तार हो सकती है। लेकिन जिला प्रशासन ने त्योहार को देखते हुए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। इसके बाद आजम खान फिर रामपुर से गायब हो गए हैं। 

भूमाफिया घोषित हो चुके हैं आजम

जिस रामपुर में आजम खान की दबंगई के कारण पुलिस उनकी भैंसों को खोजने के लिए कभी दिन रात एक किए हुए थी। उसी रामपुर की पुलिस रिकार्ड में आजम खान अब भूमाफिया घोषित हो चुके हैं। जिस आजम खान के खिलाफ रामपुर में आज नहीं उठती थी। वहीं अब वहां की जनता आजम खान के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही है। रामपुर जिला प्रशासन कभी भी आजम खान को गैंगस्टर घोषित कर सकती है। क्योंकि उनके ऊपर जितने केस दर्ज हैं नियमों के मुताबिक उन्हें इसी श्रेणी में रखा जा सकता है।