पटना। बिहार में इस साल के आखिर तक होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में रार सबके सामने आ गई है। महागठबंधन के अहम सहयोगी और  राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम  मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा ने पहले ही से ही राष्ट्रीय जनता दल की मुश्किलों को बढ़ाया हुआ है अब कांग्रेस भी राजद से सीटों के बंटवारे और समन्वय समिति को लेकर दबाव बना रही है। कांग्रेस राज्य में 101 सीटों पर दावा कर रही है और उसका का कहना है कि जिन सीटों पर पिछले चुनाव में जदयू ने चुनाव लड़ा था।


फिलहाल महागठबंधन में सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है। राजद ने राज्य में सीएम के चेहरे के लिए पार्टी के नेता तेजस्वी यादव को सामने किया है। जबकि महागठबंधन के अन्य दल तेजस्वी के नाम पर सहमत नहीं है।  हम के नेता और पूर्व सीएम मांझी ने तो साफ कह दिया है कि तेजस्वी के चेहरे पर उन्हें आपत्ति है वहीं रालोसपा और अन्य क्षेत्रीय दल भी तेजस्वी के खिलाफ हैं। मांझी अरसे से महागठबंधन में समन्वय समिति की मांग कर रहे हैं। जबकि राजद ने अभी तक उनकी इस मांग को स्वीकार नहीं किया है।

लिहाजा महागठबंधन विधानसभा चुनाव से पहले बनने से पहले ही बिखरता नजर आ रहा है। अब महागठबंधन में सहयोगी कांग्रेस ने भी साफ कर दिया है कि वह इस बार कम सीटों पर नहीं मानेगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ही महागठबंधन की तरफ से राज्य में खाता खोला था जबकि सभी दल चुनाव हार गए थे। राज्य में महागठबंधन में हम, रालोसपा और वीआईपी सहयोगी है। जबकि राजद और कांग्रेस बड़े सहयोगी दल हैं। लेकिन अब कांग्रेस ने भी राजद पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

कांग्रेस ने साफ किया है कि चुनाव में सीटों के बंटवारे के लिए लोकसभा चुनाव के फार्मूले को ही लागू करने की बात कही है।  कांग्रेस का कहना है पिछले चुनाव में जिन सीटों पर जदयू ने चुनाव लड़ा था वह कांग्रेस को मिलनी चाहिए क्योंकि अब जदयू गठबंधन में नहीं है और कांग्रेस पार्टी को 101 सीटें मिलनी चाहिए। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 41 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन इस बार वह 101 सीटों पर दावा कर रही है। कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि गठबंधन में उसे 70 सीट मिलेंगी।