जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद अर्धसैनिक बल वीवीआईपी सुरक्षा घेरे के लिए तैनाती से बच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्रालय प्रशिक्षित अर्ध सैनिक बलों की वीवीआईपी सुरक्षा में तैनाती को सीमित कर सकता है, क्योंकि इससे उनकी उपयोगिता की बर्बादी हो रही है। जम्मू-कश्मीर में अर्धसैनिक बलों को अस्पताल, अदालत जैसी नियमित जगहों की सुरक्षा से हटाने के बाद गृहमंत्रालय सीआरपीएफ को अनचाही वीवीआईपी सुरक्षा तैनाती से हटाने पर विचार कर रहा है। 

हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटाने के बाद बड़ा संकेत देते हुए केंद्रीय गृहमंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दिया गया सिक्योरिटी कवर हटा लिया। उन्हें सीआरपीएफ द्वारा मुहैया कराई गई सुरक्षा तीन मार्च को वापस ले ली गई है। अब प्रोटोकॉल के तहत यूपी पुलिस मौर्य को सुरक्षा उपलब्ध करा रही है। सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा कवर हटाने का फैसला राजनीतिक भी है। केंद्रीय गृहमंत्रालय की वीआईपी सुरक्षा ईकाई जल्द ही उन लोगों की सूची जारी कर सकती है, जिनकी सुरक्षा हटाने का फैसला किया गया है। 

इस संदर्भ में जारी एक आधिकारिक पत्र में कहा गया है, 'केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से चर्चा के बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सुरक्षा की समीक्षा की गई। इसके बाद फैसला किया गया कि उन्हें सीआरपीएफ की ओर से दी जा रही वाई प्लस सुरक्षा को हटा लिया जाए। इसके लिए बल को जरूरी कार्रवाई करनी होती है।'

खास बात यह है कि गृहमंत्रालय ने संबंधित एजेंसियों को ऐसे कई वीवीआईपी की सुरक्षा की समीक्षा करने को कहा है, जिन्हें सुरक्षा बल सिक्योरिटी कवर मुहैया करा रहे हैं। 

गृहमंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, 'उत्तर प्रदेश के एक विधायक को सीआईएसएफ की ओर से सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। वहीं अमर सिंह आदि के पास सुरक्षा कवर नहीं है, क्योंकि इन नेताओं को होने वाले खतरे की संभावना कम हुई है।'

पिछले महीने इस संबंध में एक बैठक हुई थी। इसमें कुछ हिस्सों में अर्धसैनिक बलों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुरक्षा को हटाने पर चर्चा हुी थी। 

एक सूत्र ने कहा, 'केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से स्पष्ट आदेश है कि सुरक्षा बलों की संवेदनशील इलाकों में तैनाती की जानी चाहिए। प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों को ऐसे नेताओं की सुरक्षा में तैनात कर बर्बाद नहीं किया जा सकता, जिन्हें कोई खतरा नहीं है। इस संबंध में अगस्त के महीने में समीक्षा की गई थी। ऐसी संभावना है कि इस समीक्षा के बाद कम से कम 12 लोगों की सुरक्षा हटाई जा सकती है।'

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने पुलवामा हमले के बाद अलगाववादी संगठन हुर्रियत के नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी। हुर्रियत के मीरवाइज उमर फारूक, फजल हक कुरैशी और अब्दुल गनी भट्ट, पीपुल्स कांफ्रेंस के बिलाल लोन, जेकेएलएफ के हाशिम कुरैशी , जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के शब्बीर शाह उन नेताओं में शामिल हैं, जिनको दिया जा रहा सुरक्षा कवर हटा लिया गया है।