कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में बनी भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनते ही सबसे बड़ा फैसला लिया है। कर्नाटक में अब सरकार सरकारी स्तर पर टीपू सुल्तान की जयंती नहीं मनाएगी। इसके लिए आज मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ऐलान कर पिछले सरकार के इस फैसले को रद्द कर दिया है।

सरकार के इस फैसले के बाद सियासी जंग फिर शुरू होने के आसार है। जहां कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए टीपू सुल्तान की जयंती मनाती थी वहीं भाजपा ने अपने वोटरों को खुश करने के लिए ये बड़ा फैसला किया है। कांग्रेस ने भाजपा को अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया है।

सोमवार को ही राज्य में भाजपा की सरकार बनी है। लेकिन सरकार बनने के एक दिन के बाद आज येदियुरप्पा सरकार ने टीपू जयंती पर होने वाले सरकारी समारोहों को रद्द कर दिया है और उन्होंने टीपू सुल्तान की जयंती नहीं मनाने का फैसला किया है।

राज्य में कांग्रेस सरकार ने 2016 से मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती मनाना शुरु किया था। हालांकि उस वक्त भी भाजपा ने इसका विरोध किया था। भाजपा के तर्क थे कि टीपू सुल्तान ने हिंदूओं को प्रताड़ित किया था और जबरन मुस्लिम बनाया था। लेकिन सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया। लेकिन अब राज्य में सरकार बनते ही येदियुरप्पा सरकार ने पिछली सरकार के फैसले को पलट दिया है।

राज्य में सोमवार को विधानसभा में येदियुरप्पा सरकार ने बहुमत साबित किया था और उसके बाद भाजपा के नेता केजी बोपैया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर टीपू सुल्तान की जयंती पर होने वाले सरकारी कार्यक्रमों को रद्द करने की मांग की थी।

उन्होंने कहा था कि राज्य के कोडागु ज़िले इसके लिए होने वाले समारोह के विरोध के कारण सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है। लिहाजा इस समारोह को पूरे राज्य में बंद कर देना चाहिए। फिलहाल भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है।

कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारामैया ने भाजपा को अल्पसंख्यक विरोधी बताया है। उधर बेंगलुरु साउथ से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि राज्य की नई बीएस येदियुरप्पा सरकार पिछली गठबंधन सरकारों के ग़लत फैसलों को सुधार रही है।