पिछले एक साल से आर्थिक मोर्चे भारत से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेल रहे चीन को केन्द्र की मोदी सरकार एक और झटका देने की तैयारी में है। मोदी सरकार ने एक ऐसा प्लान तैयार किया है। जिसके कारण चीन आर्थिक तौर पर भारत से पिछड़ सकता है। केन्द्र की मोदी सरकार ने चीन और अमेरिका के बीच चल रहे आर्थिक वार का फायदा उठाते हुए चीन में अपना कारोबार बंद कर रही अमेरिकी कंपनियों को लुभाने की तैयारी कर ली है। केन्द्र सरकार इन कंपनियों को कई तरह की छूट देकर उन्हें भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहत कर रही हैं।

चीन और अमेरिका में ट्रेड वार चल रहा है। कई अमेरिकी कंपनियों पर चीनी सरकार ने नए नियम थोप दिए हैं। जबकि दोनों देशों ने एक दूसरे से खरीदे जाने वाले उत्पादों पर भी टैक्स बढ़ा दिया है। जिसके कारण चीन में कारोबार कर रही अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। जिसके कारण ये कंपनियां चीन में अपना कारोबार बंद रही हैं।

अगर देखें तो चीन की तुलना में अमेरिका की ज्यादा कंपनियों ने वहां पर निवेश किया है और ट्रेडवार के कारण कंपनियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। वहीं केन्द्र की मोदी सरकार ने इन कंपनियों को भारत में निवेश करने लुभा रही हैं। चीन छोड़कर जा रही इन कंपनियों को भारत में निवेश के लिए एक प्लान तैयार किया गया है। भारत सरकार कई तरह के इंसेंटिव देने का प्लान बना रही है।

मोदी सरकार इन कंपनियों को वियतनाम की तरह टैक्स हॉलिडे और प्रीफरेंशियल टैक्स रेट्स का ऑफर दे रही हैं। भारत सरकार खास तौर से इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर अप्लाएंसेज, इलेक्ट्रिक व्हीकल, फुटवीयर के क्षेत्र में कार्य करने वाले कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। एक आर्थिक समाचार पत्र के मुताबिक चीन को छोड़ कंपनियां वियतनाम और मलेशिया में निवेश कर रही हैं।

लिहाजा भारत भी इन कंपनियों के लिए वहां की तरह कर छूट और सुविधा दे रही हैं। फिलहाल भारत ने इस ट्रेड वार से फायदा लेने की तैयारी कर ली है। इसके जरिए केन्द्र सरकार 'मेक इन इंडिया' को भी आगे बढ़ा सकेगी। वहीं अगले साल तक सरकार ने निर्माण क्षेत्र की विकास दर को 25 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। वहीं केन्द्र सरकार ने करीब 150 ऐसे उत्पादों की पहचान की है जिसे चीन को निर्यात किया जा सकता है। जो इन कंपनियों के बंद होने से चीन को अन्य देशों से खरीदना पड़ेगा।