-निजी कंपनियों के कर्मचारियों के दुर्व्यवहार के लिए बनें नियम

विमान का टिकट कैंसिल कराना जल्द ही सस्ता हो सकता है। अगर संसदीय समिति की सिफारिशों को मान लिया गया तो आने वाले समय में कैंसिल कराने में पचास फीसदी तक की राहत मिल सकती है। संसदीय समिति ने इस बात में चिंता जताई है कि कंपनियां यात्रियों से ज्यादा से ज्यादा पैसा वसूलती हैं लेकिन उस तुलना में सहूलियतें नहीं देती हैं।

संसद की नागरिक उड्डयन की समिति ने विमान सेवा कंपनियों द्वारा विभिन्न मदों में भारी-भरकम शुल्क वसूलने पर लगाम लगाने सिफारिश की है। समिति का कहना है कि टिकट रद्द कराने का शुल्क किसी भी सूरत में मूल किराए के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ऐसा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। टिकट रद्द कराने पर कर तथा ईंधन शुल्क वापस किया जाए। असल में कंपनियां के वर्तमान नियमों के अनुसार, टिकट रद्द कराने पर लगने वाला अधिकतम शुल्क मूल किराया और ईंधन शुल्क के योग के बराबर हो सकता है।

विमान कंपनियों के कर्मचारियों के बुरे बर्ताव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्मचारियों के व्यवहार में सुधार नहीं आ रहा है। लिहाजा समिति है कि कर्मचारियों के प्रशिक्षण ज्यादा प्रभावी तथा ठोस होना चाहिए। समिति ने मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी श्रेणी के विमान सेवा कर्मचारियों को ग्राहकों से अच्छे संबंध रखने के लिए गहन प्रशिक्षण दिया जाए। समिति ने कहा कि कर्मचारियों से खराब बर्ताव करने वाले यात्रियों के लिए कड़े नियम हैं और इन यात्रियों को ‘नो फ्लाई लिस्ट’ में रख दिया जाता है। जबकि एयरलाइंस कर्मचारियों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।

एयरलाइंस के लिए उपभोक्ताओं के साथ अच्छा व्यवहार अनिवार्य है। एयरलाइंस सेक्टर में आने के लिए सहयोगात्मक एवं विनम्र व्यवहार जरूरी होना चाहिए। समिति की अपेक्षा है कि मंत्रालय बुरा व्यवहार करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे तथा उन पर भारी जुर्माना लगाए। समिति का कहना है कि मंत्रालय ने चेकइन प्रक्रिया और चेकइन काउंटर के मामले में विमान सेवा कंपनियों को खुली छूट दे रखी है।

उसने कहा है कि ये कंपनियाँ जानबूझकर चेकइन में देरी करती हैं और कृत्रिम ओवर बुकिंग दिखाती हैं समिति ने सिफारिश की है कि किसी हवाई अड्डे पर विमान सेवा कंपनियों को आवंटित चेकइन काउंटरों की संख्या उनकी उड़ानों की संख्या के अनुपात में होनी चाहिए। इसके साथ ही निजी विमान कंपनियां ने यात्रा के दौरान 15 किलोग्राम के वजन का नियम बनाया है जबकि सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया 22 किलोग्राम तक नि:शुल्क चेकइन बैगेज की सुविधा देती है। ऐसे में निजी कंपनियों पर भी यही नियम लागू किया जाना चाहिए।