असल में कंपनियां सुरक्षा के नाम पर यात्री सेवा शुल्क में इजाफा करने जा रही हैं। जिसका सीधा असर हवाई यात्रा के किराए पर पड़ेगा। इसके लिए कंपनियों का तर्क है कि केन्द्र सरकार ने सुरक्षा पर लिए जाने वाले टैक्स में बढ़ोत्तरी की है।
नए साल से हवाई सफर करने वाले यात्रियों को अपनी जेब थोड़ी हल्की करनी पड़ेगी। क्योंकि नए साल में एयरलाइंस कंपनियां टैक्स बढ़ाकर किराया बढ़ाएंगी और इसका सीधा भार यात्रियों की जेब पर डालेंगी। असल में कंपनियां सुरक्षा के नाम पर यात्री सेवा शुल्क में इजाफा करने जा रही हैं। जिसका सीधा असर हवाई यात्रा के किराए पर पड़ेगा। इसके लिए कंपनियों का तर्क है कि केन्द्र सरकार ने सुरक्षा पर लिए जाने वाले टैक्स में बढ़ोत्तरी की है।
एयरलाइंस कंपनियां ने सुरक्षा के खर्च में बढ़ोत्तरी का भार अब यात्रियों के जेब पर डालने का फैसला किया है। जिससे हवाई यात्रा का किराया बढ़ जाना तय है। इसके लिए एयरलाइंस कपनियां के तर्क हैं कि उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी एयरलाइंस की होती है और इस सुरक्षा के लिए उसे सरकार को पैसा देना होता है। क्योंकि एयरपोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के हवाले है।
इसके लिए सुरक्षा पर बढ़ी लागत की भरपाई के लिए यात्री सेवा शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला किया है। हालांकि यह बढ़ोत्तरी ज्यादा नहीं है। लेकिन टैक्स के तौर पर ये यात्रियों से ही वसूला जाएगा। पहले ये टैक्स 135 रुपया था जो अब बढ़कर 170 हो जाएगा। एयरपोर्ट की सुरक्षा की बढ़ी लागत की भरपाई के लिए पैसेंजर सर्विस फी (पीएसएफ) को 35 रुपए बढ़ाने का फैसला किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि यह बढ़ोतरी अगले तीन सालों के लिए देशभर के एयरपोर्ट की सुरक्षा पर आने वाली लागत पूरी करने और बकाये के भुगतान के लिए पर्याप्त होगी।
दिल्ली एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ का 800 करोड़ रुपये बकाया है। विमान कंपनियों का कहना है कि पीएसएफ में बढ़ोतरी 2001 के बाद नहीं हुई है। हर साल देश में पीएसएफ का कलेक्शन 500 करोड़ रुपये से भी कम है जबकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा सुरक्षा के लिए 1300 करोड़ रुपए खर्च किया जाता। हालांकि निजी एयरपोर्ट हालांकि अपने फंड में से पैसे नहीं देते हैं। जिसका सीधा असर सरका पर पड़ता है।
Last Updated Dec 27, 2018, 9:14 AM IST