अखिलेश यादव का समाजवाद महिलाओं को भयभीत कर रहा है। शायद उनकी विचारधारा एक खास जाति के पुरुषों तक ही सीमित है। इसके दो ताजा उदाहरण हैं पहला अमर सिंह, दूसरी पंखुड़ी पाठक।

ताजा घटनाक्रम ये है कि समाजवादी पार्टी की तेजतर्रार प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही पंखुड़ी ने सपा पर कई गंभीर आरोप लगाए है। जो समाजवादी पार्टी के चाल-चरित्र को दर्शाता है।  उन्होंने कहा कि, पार्टी ने समाजवादी सिद्धांतों को छोड़ दिया है और अब वहां रहने से उनका दम घुटता है।

पार्टी के नेता जाति, धर्म और लिंग के आधार पर अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं और अखिलेश यादव सब जानते हुए भी कुछ भी कहते नहीं हैं। जिससे पता चलता है कि उन्होंने भी इस स्तर की राजनीति को स्वीकार कर लिया है। इससे पहले पुराने समाजवादी अमर सिंह भी अखिलेश के समाजवाद को महिलाओं के लिए खतरनाक बता चुके हैं।

उनका आरोप था कि सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान ने उनकी पत्नी को जान से मारने और उनकी बेटियों के उपर तेजाब फेंकने के लिए उकसा रहे हैं। और अमर सिंह के आरोपों के ठीक बाद पंखुड़ी भी कुछ ऐसे ही आरोप लगा रही हैं। जिसके बाद यह साफ तौर पर माना जा सकता है कि समाजवादी पार्टी में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। 

इस्तीफा देते हुए पंखुड़ी पाठक ने यह भी कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को मैंने नेता और आदर्श ही नहीं, एक बड़ा भाई भी माना है। लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी को गलत दिशा में जाते हुए देखकर मुझे दुख होता है। पंखुरी पाठक ने ट्वीट करके कहा है, 8 साल पहले वे सपा की विचारधारा व युवा नेतृत्व से प्रभावित होकर मैं इस पार्टी से जुड़ी थी। लेकिन, आज न वह विचारधारा दिखती है और न ही वह नेतृत्व। जिस तरह की राजनीति चलती है, उसमें दम घुटता है। पार्टी में आज न लोकतंत्र बचा है और न कार्यकर्ता का सम्मान।