अमेरिका ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तय्यबा के कमांडर अब्दुल रहमान अल-दाखिल को एक विशेष वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया है। अब्दुल रहमान हाल के समय तक जम्मू क्षेत्र में आतंकी संगठन का संभागीय कमांडर था। अब्दुल रहमान लंबे समय से लश्कर का सदस्य है। वह 1997 से 2001 के बीच भारत में लश्कर के हमलों के लिए उसका मुख्य संचालक था। साल 2018 की शुरुआत में वह वरिष्ठ कमांडर बन गया। रहमान के साथ ही लश्कर को वित्तीय मदद देने वाले हमीद-उल हसन और अब्दुल जब्बार को भी इस सूची में रखा गया है। हाफिज सईद का लश्कर-ए-तय्यबा अमेरिका की विदेशी आतंकी संगठनों की सूची में पहले से ही शामिल है। 

ब्रिटिश बलों ने 2004 में इराक में उसे पकड़ा था। इसके बाद उसे इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी हिरासत में रखा गया और 2014 में पाकिस्तान के हवाले कर दिया गया। पाकिस्तान में हिरासत से रिहा होने के बाद दाखिल फिर से लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करने लगा। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा कि विशेष वैश्विक आतंकी करार देने का मकसद उन्हें आतंकी हमलों की योजना बनाने एवं उसे अंजाम देने के लिए जरूरी संसाधनों से वंचित करना है।

अमेरिका के गृह मंत्रालय के अनुसार, अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में आने वाली रहमान की सभी तरह की संपत्तियों को जहां सील कर दिया गया है। अमेरिकी नागरिकों से उसके साथ किसी प्रकार के आदान-प्रदान पर भी रोक लगा दी गई है। अमेरिका ने दिसंबर 2001 में लश्कर को विदेश आतंकी संगठन माना था। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर को वर्ष 2005 में अपनी प्रतिबंधित सूची में शामिल किया था। 

वहीं हमीद-उल-हसन लश्कर के फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के लिए काम करता था। उसका काम पैसा जमा करके उसे सीरिया भेजना था। वर्ष 2016 की शुरुआत में हसन ने अपने भाइयों मुहम्मद एजाज सरफराज और खालिद वालिद के साथ लश्कर की तरफ से पाकिस्तान पैसा भेजना शुरू किया। हसन के ट्विटर अकाउंट के मुताबिक वह खुद को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हाफिज सईद के जमात-उद-दावा का नेता बताता है। उसके दोनों भाई सरफराज और खालिद पहले ही वैश्विक आतंकी सूची में शामिल किए जा चुके हैं।

जब्बार ने वर्ष 2000 से लश्कर के साथ काम करना शुरू किया। वह इस आतंकी संगठन के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराता था। वह आतंकी संगठनों को वेतन बांटता था। इसके अतिरिक्त वर्ष 2016 के मध्य से उसने फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की तरफ से धन उपलब्ध कराना शुरू किया।