कोलकाता। राजधानी कोलकाता में आयोजित रैली में आज  भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने  ममता सरकार को हटाने के लिए हुंकार भरी।  उन्होंने कहा कि राज्य में ममता सरकार को कुशासन को हटाने के लिए राज्य की जनता आगे आए। रैली में अमित शाह ने मोबाइल नंबर जारी किया ताकि इस नंबर के जरिए राज्य की जनता राज्य सरकार के खिलाफ मिस कॉल कर अपना विरोध जता सके। 

अमित शाह ने कहा कि राज्य की जनता सोनार बांग्ला के सपने को साकार करने के लिए अगले पांच साल राज्य की सत्ता भाजपा के हाथ में सौंपे। क्योंकि राज्य में जनता के साथ अन्याय हो रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में अमित शाह की ये पहली रैली थी और जिसकी उम्मीद की जा रही थी अमित शाह ने वैसा ही आक्रामक तेवर रैली में दिखाए। राज्य में अगले साल चुनाव होने हैं और ऐसे में अमित शाह की ये रैली  काफी अहम मानी जा रही है।

रैली में अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार के "अन्याय" को समाप्त करने की जरूरत है और उन्होंने एक मोबाइल नंबर भी जारी किया। उन्होंने कहा कि "ममता को बंगाल से बाहर करने के लिए 9727294294 डायल करें। उन्होंने कहा कि ममता सरकार को हटाने की जरूरत है। भाजपा सरकार शरणार्थियों को नागरिकता का अधिकार देगी और आपको भ्रष्टाचार और आतंक से भी मुक्त करेगी। शाह ने कहा कि लोगों को भाजपा के अभियान में समर्थन देने के लिए नंबर की शुरुआत कर रहे  हैं।

ममता सरकार पर आरोप लगते हुए शाह ने कहा कि राज्य सरकार पर केंद्रीय द्वारा भेजे धन गए धन का दुरुपयोग कर  रही है और इसका फायदा राज्य की जनता को नहीं मिल रहा है।  क्योंकि सिंडिकेट के जरिए इसका दुरुपयोग हो रहा है। शहा ने कहा कि बंगाल पर 3.75 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। जबकि पिछली वाम दलों के सरकार के दौरान ये कर्ज 1.92 लाख करोड़ रुपये था। लेकिन ममता सरकार में ये बढ़ गया है। उनको कहा कि दीदी के राज में पैदा होने वाला हर बच्चा 40,000 का कर्ज लेकर पैदा हो रहा है।

केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को 359,000 करोड़ रुपये दिए लेकिन राज्य सरकार ये पैदा भ्रष्टाचार में खर्च किया है। उन्होंने कहा कि अब राज्य की कमान भाजपा के हाथों में सौंपने की जरूरत है। गौरतबल है कि अप्रैल-मई में 100 से अधिक नागरिक निकायों के चुनाव होने हैं  और इसके लिए भाजपा ने अभी से कमर कस ली है। गौरतलब है कि आज कोलकाता में अमित शाह की सार्वजनिक रैली थी।  जिसका विरोध राज्य की सत्ताधारी टीएमसी और वामदल दल रहे थे। वामपंथी दल और सत्ताधारी टीएमसी के छात्र संगठन सड़कों पर उतरकर उनकी रैली का विरोध कर रहे थे।