साल था 2012 का। जब ग्लोबल वार्मिंग और महिला सशक्तिकरण पर यूनाइटेड नेशंस में चर्चा चल रही थी। जिसमें भारत की ओर से हिस्सा ले रहे थे अनंत कुमार। 

उन्होंने अपनी मातृभाषा कन्नड़ में असेंबली को अपना शुभकामना संदेश दिया। इससे सब आश्चर्यचकित रह गए। 

उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत इन शब्दों से की “आदरणीय अध्यक्ष महोदय और दुनिया भर से आए हुए मेरे भाईयों और बहनों आप सभी को सुप्रभात”
अनंत कुमार ने इन शब्दों को कन्नड़ भाषा में कहा। 

अनंत कुमार को अपनी मातृभाषा से बेहद प्यार था। 

उन्होंने बाद में संयुक्त राष्ट्र में अपने कन्नड़ के संबोधन का जिक्र करते हुए अपनी वेबसाइट लिखा- “मुझे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में बोलने का मौका मिला। मेरा यह अनुभव और अच्छा हो गया जब मैनें अपने संबोधन की शुरुआत अपनी प्रिय मातृभाषा कन्नड़ से की।”

हालांकि इसके बाद का अभिभाषण अनंत कुमार ने अपना बाकी का भाषण संबंधित विषय पर दिया। लेकिन कन्नड़ में उनका यह संबोधन आज भी इतिहास में दर्ज है। 
 
अनंत कुमार ने अपना संसदीय करियर 1996 में शुरू किया जब वह दक्षिण बेंगलुरु से लोकसभा में चुने गए। यह निर्वाचन क्षेत्र उनके निधन तक उनका मजबूत गढ़ बना रहा जहां से उन्हें लगातार छह बार जीत मिली। 15 वीं लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विभिन्न संसदीय समितियों में पद संभाले और एनडीए-2 की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री के तौर पर काम किया।