अब से कुछ ही घंटों में अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड विवाद को सुलझाने की अहम कवायद करने के लिए अमेरिकी दल राजधानी बीजिंग पहुंच रहा है. दोनों देंशो के बीच जारी ट्रेड वॉर को रोकने की के लिए आमने-सामने बैठेंगे और इस मुलाकात में फैसला होगा कि वैश्विक व्यापार के लिए आने वाले दिन कैसे होंगे.

अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव रॉबर्ट लाइथाइजर और ट्रेजरी सचिव स्टीवेन एम बीजिंग में हैं. इसके बाद चीन के वाइस प्रीमियर लियू ही आगे की बातचीत के लिए 8 मई को वॉशिंगटन पहुंचेंगे. इस दौरान दोनों देश आपसी कारोबार में जबरन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और टैरिफ में इजाफे के मुद्दों पर अहम फैसला करेंगे.

गौरतलब है कि लंबे समय से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन के कारोबारी तरीकों पर कड़ा रुख रहा है. जिसके चलते दोनों देशों के बीच बीते कई महीनों से टैरिफ वॉर जारी है. यानी दोनों चीन और अमेरिका एक दूसरे के व्यापार उत्पादों पर टैक्स में इजाफा कर रहे हैं. इससे जहां दोनों अमेरिका और चीन को वैश्विक व्यापार में नुकसान हो रहा है वहीं दुनिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी इसका दबाव झेलना पड़ रहा है.

ऐसे में चीन के लिए पड़ोसी देश भारत से भी चुनौतियों में इजाफा हुआ है. चीन ने वैश्वविक कारोबार पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पारंपरिक सिल्क रोड परियोजना को पुनर्जीवित करने की योजना शुरू की है. 

इसके लिए वह बीआरआई (बॉर्डर रोड इनीशिएटिव) कॉरिडोर परियोजना चला रहा है. इसके जरिए एशिया और यूरोप को रोड और रेल नेटवर्क से जोड़ते हुए चीन को अपने उत्पाद के ट्रांसपोर्टेशन के लिए रोड के जरिए अरब सागर से जोड़ना है. 

इस परियोजना के एक अहम चरण में चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) समझौता किया गया है. हालांकि इस समझौते में शामिल क्षेत्र भारत की संप्रभुता में हैं जिसके चलते भारत ने इस पूरी परियोजना पर सवाल खड़ा किया है.    

लिहाजा, पिछले साल की तर्ज पर भारत ने पिछले हफ्ते चीन में आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम में शरीक होने से मना कर दिया था. जिसके बाद चीन ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते एक बार फिर भारत से परियोजना में शामिल होने की अपील की है.

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गौरतलब है कि जहां चीन और अमेरिका कोशिश कर रहे हैं कि वह जल्द से जल्द ट्रेड विवादों को सुलक्षाकर वैश्विक व्यापार को पटरी पर लाने की पहल करें. वहीं संभावनाएं यह भी व्यक्त की जा रही हैं कि दोनों अमेरिका और चीन एक नए शीत युद्ध की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि चीन और अमेरिकी के बीच ट्रेड नीति वैश्विक व्यापार की नई दिशा को निर्धारित करने के साथ-साथ भारत के लिए भी बेहद अहम है.