सेना में ये कदम आर्मी की एडजुटेंट जनरल शाखा की तरफ से दिए गए सुझावों के बाद उठाए जा रहे हैं। इसके बाद ऑपरेशनल कामों में अधिकारियों की कमी से निपटा जा सकेगा।
सेना में यह बदलाव अधिकारियों के करियर में बेहतर संभावना बनाने और आर्मी ऑफिसर कैडर को सिविल सेवाओं की तरह बनाने के लिए किया जा रहा है। सेना में यह बदलाव 35 साल के लंबे अंतराल के बाद हो रहे हैं। सेना अपनी मौजूदा 9 अफसर रैंक में कटौती कर इसे 6 या 7 कर सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जो अधिकारी कर्नल रैंक से पदोन्नति के सारे मापदंड पूरे करते हैं वो अब सीधे मेजर जनरल बन सकेंगे यानि कि सेना में ब्रिगेडियर का पद नहीं होगा।
आर्मी कैडर में प्रस्तावित सुधारों को लेकर जूनियर अफसरों में खुशी है। इससे न सिर्फ सेना में शामिल होने वाले अधिकारियों के लिए बेहतर संभावनाएं बनेंगी बल्कि वो सिविल सेवाओं की तर्ज पर पदोन्नति पाने के हकदार हो जाएंगे। ज्यादा रैंक होने की वजह से बहुतायत अफसर कर्नल रैंक तक पहुंचते-पहुंचते सेवानिवृत हो जाते हैं जबकि सिविल सेवाओं में जाने वाले अधिकारी प्रमोशन पाकर संयुक्त सचिव के पद तक पहुंचते हैं।
माय नेशन सूत्रों के मुताबिक आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत की एक तीर से कई निशाने साधने की योजना है। नई व्यवस्था से न सिर्फ कनिष्ठ अधिकारियों में दबा असंतोष दूर होगा बल्कि निचले स्तर पर तैनाती में ठहराव दूर होगी। साथ ही प्रमोटेड अफसरों को ब्रिगेड, डिवीज़न और कोर लेवल पर तैनात किया जा सकेगा।
प्रस्तावित कैडर व्यवस्था के मुताबिक आर्मी में शामिल होने वाला अधिकारी लेफ्टीनेंट होगा और ट्रेनिंग के दौरान इस पद पर बना रहेगा। ट्रेनिंग के बाद रेग्यूलर सेवा में आने पर वो अफसर कैप्टन के तौर पर नियुक्त होगा।

रेग्यूलर सर्विस में कोई भी महिला या पुरुष अधिकारी 6 साल के बजाय 4 साल की सेवा के बाद मेजर बन सकेगा। इसी तरह 10 साल सेवा देने के बाद अफसर लेफ्टीनेंट कर्नल बन सकेंगे फिलहाल इस पद तक पहुंचने के लिए 13 साल  लगते हैं। सेना में ज्वाइनिंग के बाद 14 सालों में अफसर कर्नल बनने के योग्य हो जाएंगे। कर्नल के पद पर 6 या 8 साल काम करने के बाद 20 या 22 साल में अधिकारी मेजर जनरल बन पाएंगे। किन्हीं विशेष परिस्थियों में किसी कारणवस कोई अधिकारी जल्दी प्रमोशन नहीं पा सका तो ये भी ध्यान रखा जाएगा की 26 साल की सेवा के बाद वो मेजर जनरल के पद तक पहुंच सके।
मेजर जनरल के रैंक तक पहुंचे अधिकारी 6 या 8 साल की और सेवा के बाद 28 से 30 साल की उम्र में लेफ्टीनेंट कर्नल बन सकेंगे। इस प्रकार आर्मी अधिकारी 28 से 30 साल की सेवा में सिविल सेवाओं की तरह अतिरिक्त सचिव के पद तक पहुंच पाएंगे।

दिल्ली से अजीत कुमार दुबे की रिपोर्ट