ऐसे समय, जब सेना का जोर सैनिकों की फिटनेस सुधारने पर है, सेना मुख्यालय ने मोटे अधिकारियों को मेडिकल में फिट घोषित करने वाले डॉक्टरों को चेतावनी जारी की है। यह चेतावनी सेवाकाल के दौरान तीन से चार अधिकारियों की दिल का दौरा पड़ने अथवा जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के चलते हुई मौत के बाद जारी की गई है। 

सेना की एजुटेंट जनरल शाखा से 10 जून को जारी पत्र में कहा गया है, 'सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कमांडर्स कांफ्रेंस के दौरान निर्देश दिया था कि मोटे अफसरों को फिट करार देने वाले अधिकारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के जिम्मेदार माने जाएंगे।'

हाल के दिनों में सेना ने मोटापे के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है। पिछले साल अगस्त में जारी दिशानिर्देशों में कहा गया था कि मोटे अधिकारियों को पदोन्नति, विदेशों में पोस्टिंग और बल में करियर संवारने वाले कोर्सों से महरूम होना पड़ सकता है। 

सेना की मोटापा से निपटने की नीति के अनुसार, मोटे लोगों के छिपने के लिए कोई जगह नहीं मिलेगी। वरिष्ठ अधिकारियों को अपने दौरे में आकस्मिक जांच करने करने के अधिकार दिए गए हैं। ऐसे लोगों को विस्तार से जांच के बाद मेडिकल में नीचे किया जा सकता है। 

हाल ही में सेना प्रमुख ने कहा था कि सभी को अपनी यूनिफॉर्म फिट आने पर गर्व महसूस करना चाहिए। यही सबसे बड़ी मेडिकल श्रेणी है। सेना प्रमुख ने कहा था, सिर्फ अपात्रता पेंशन हासिल करने के लिए मेडिकल श्रेणी कम करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। 

सेना प्रमुख रावत ने कहा कि अपात्रता, जीवनशैली संबंधी रोग और युद्ध के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा के दौरान युवा सैनिकों की मौत सभी के लिए चिंता का विषय है। ज्यादा तलीभुनी और पूरी, पकोड़ा और मिठाई जैसे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों को कम किए जाने की जरूरत है। इसकी जगह सैनिकों को सेहतमंद रखने का विकल्प अपनाया जाना चाहिए। (नई दिल्ली से अजीत दुबे की रिपोर्ट)