असम में आज नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का अंतिम ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है। एनआरसी पर जारी ड्राफ्ट के अनुसार 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक मान लिया गया है। जबकी करीब 40 लाख लोगों को अवैध घोषित कर दिया गया है। वैध नागरिकता के लिए 3,29,91,384 लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें 40,07,707 लोगों को अवैध माना गया। 

जिन लोगों को बेघर घोषित किया गया है, उनके बारे में कहा जा रहा है कि इनके कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हुई हो, या फिर उन्होंने अपनी नागरिकता ठीक से साबित नहीं कर सके हों।
इससे पहले सरकार ने सरकार ने ऐहतियातन सीआरपीएफ की 220 कंपनियों को तैनात कर दिया गया है। साथ ही सरकार ने वहीं असम की सीमा से लगे चार राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय और मणिपुर) ने घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है।

मसौदे को ऑनलाइन और समूचे राज्य के सभी एनआरसी सेवा केन्द्रों (एनएसके) में सुबह दस बजे प्रकाशित कर दिया गया। एनआरसी में जारी लिस्ट में 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रहने वाले लोगों को शामिल किया गया है।
इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने लोगों को भरोसा दिया है कि वैध रूप से भारत में आने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी। उन्हे अपनी नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को महज मसविदा प्रकाशित होगा। बाद के दावों और आपत्तियों के निस्तारण के बाद अंतिम एनआरसी का प्रकाशन होगा।

सात जिलों में धारा 144 लागू

प्रशासन ने राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पूरे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सात जिलों- बारपेटा, दरांग, दीमा, हसाओ, सोनितपुर, करीमगंज, गोलाघाट और धुबरी में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई है। सभी जिलों के संवेदनशील इलाकों की पहचान की है. किसी भी अप्रिय घटना खासकर अफवाह से होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए स्थिति पर बेहद सावधानी से निगरानी बरती जा रही है।

लिस्ट में नाम नहीं होने पर दोबारा मिलेगा मौका

मसौदा में जिनके नाम नहीं है, उनको दुबारा मौका दिया जाएगा। इसके लिए आवेदक एनआरसी सेवा केन्द्र जाकर 30 जुलाई से 28 सितंबर तक सभी कामकाजी दिनों में सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक देख सकते हैं। एनआरसी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में अपडेट किया जा रहा है।

मुस्लिम संगठन कर रहे विरोध

कई राजनीतिक दल और मुस्लिम संगठन एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार अल्पसंख्यकों को बाहर निकालने के लिए इसका सहारा ले रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और उसकी निगरानी में एनआरसी को अपडेट किया है। इससे पहले 31 दिसंबर 2017 को जारी पहली सूची में 3.29 करोड़ आवेदकों में 1.9 करोड़ लोगों के नाम ही शामिल थे।