नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पहला कार्यकाल कई बड़े आर्थिक फैसलों के लिए जाना जाता है और इसके शिल्पकार रहे पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली। वित्त मंत्री के तौर पर अरूण जेटली के कंधे पर जीएसटी को लागू करना सबसे कठिन काम थे। लेकिन उन्होंने जीएसटी को पूरे देश में लागू कर आर्थिक व्यवस्था को एक ढ़ाचे में जोड़ दिया। जीएसटी के अलावा इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड भी जेटली के अहम आर्थिक सुधारों में होती है।

मोदी सरकार के दौरान आर्थिक सुधारों का जिम्मा पीएम नरेन्द्र ने अरूण जेटली को दिया था। उन्होंने देश के आर्थिक विकास के लिए खई बड़े फैसले लिए, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा गया। क्योंकि तमाम विरोधों के बावजूद जेटली इन फैसलों को लागू करने में सफल रहे।

गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स

गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स यानी सरल भाषा में जीएसटी। भारत के आर्थिक फैसलों में ये एक बड़ा फैसला माना गया और इसके जरिए टैक्स सुधार हो रहे हैं और इसके शिल्पकार जेटली ही रहे। क्योंकि जीएसटी के लिए विभिन्न राज्यों को मनाना काफी मुश्किल था क्योंकि कई राज्यों में अन्य दलों की सरकारें थी। लेकिन जेटली सभी राज्यों को एक मंच पर लाने में सफल रहे और देश में जीएसटी लागू हुआ। देश में जुलाई 2017 को जब जीएसीटी  लागू हुआ उस वक्त तमाम समस्याएं आईं और व्यापारियों ने इस कदम का स्वागत नहीं किया। लेकिन आज जीएसटी सभी के लिए आसान हो गया है। 

इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड 

जीएसटी के बाद अरूण जेटली के खाते में इसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड को लागू करने का श्रेय जाता है। इस कोड के लागू होने के बाद बैंकों को धोखा देकर कर्ज लेकर भागने वालों पर लगाम लगाने में मदद मिली है। अरूण जेटली के अहम फैसलों के कारण ही पिछले दो साल में इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के तहत प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक कीमत की फंसी हुई संपत्तियों का निस्तारण किया गया है। 

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी का गठन 

मौद्रिक नीति बनाने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के उद्देश्य से वित्त मंत्री के तौर पर अरूण जेटली ने 2016 में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी का गठन किया था। आरबीआई गवर्नर की अगुआई वाली यह कमिटी ब्याज दरों को तय करती है। इस कमिटी में 6 सदस्य होते हैं और साल में कम से कम चार बार इस कमेटी की बैठक होती है और जो रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट तय करती है।

बैंकों का एकीकरण के साथ ही एनपीए में सुधार 

वित्त मंत्री के तौर पर अरूण जेटली में बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए कई अहम फैसले लिए। उन्होंने बैंकों का एकीकरण करने का अहम फैसला लिया साथ ही बैंकों के एनपीए को कम करने के लिए काम किया। स्टेट बैंक में उसके 5 असोसिएट बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हो चाहे देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय। इसके पीछे अरूण जेटली के दूरदर्शी सोच का नतीजा है कि बैंकों का एकीकरण हो पाया। जेटली ने नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी एनपीए का करने में भी कामयाबी हासिल की। घाटे में चल रहे बैंक अब फायदे आ रहे हैं। पंजाब नेशनल बैंक इसका एक उदाहऱण है।

एफडीआई का उदारीकरण 

देश में निवेश के लिए एफडीआई नियमों को जेटली के कार्यकाल में सरल बनाया गया। जेटली के प्रयासों से डिफेंस, इंश्योरेंस और एविएशन जैसे सेक्टर भी एफडीआई के दरवाजे खोले गए। आंकड़ों के मुताबिक 2014 में जहां देश में 24.3 अरब डॉलर का एफडआई आया वहीं 2019 में ये बढ़कर 44.4 अरब डॉलर हो गया है। तक पहुंच गई। इसका श्रेय बहुत हद तक जेटली को जाता है।