मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओं पर केन्द्रीय नेतृत्व की गाज जल्द गिर सकती है। कर्नाटक की सफलता के बाद भाजपा की रणनीति मध्य प्रदेश में फेल हो गयी है और इसके लिए पूरी तरह से राज्य नेताओं को जिम्मेदार माना जा रहा है। पार्टी नेतृत्व का माना है कि राज्य में नेतृत्व एक तो विधायकों की नाराजगी को भांपने में कामयाब नहीं हो पाया और दूसरा बयानबाजी के कारण कांग्रेस ने अपनी चाल चली। इसका सीधा नुकसान भाजपा को हुआ है।

राज्य में भाजपा के नेता कांग्रेस को लगातार सरकार गिराने की धमकी दे रहे थे। कर्नाटक में चले सियासी जंग के बीच राज्य के नेताओं को एक तरह के कमलनाथ सरकार पर दबाव बना दिया था और इसके कारण कमलनाथ को अपनी सरकार असुरक्षित लग रही थी। लिहाजा कमलनाथ ने इसका तोड़ भाजपा के दो विधायकों को अपने पक्ष में करने के साथ निकाला।

हालांकि राज्य में कमलनाथ सरकार को उतना खतरा नहीं था। लेकिन भाजपा नेताओं की बयानबाजी से परेशान होगा कमलनाथ ने भाजपा को अपनी ताकत का एहसास कराया है। राज्य में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं जबकि चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक उसे समर्थन दे रहा।

इस लिहाजा से राज्य सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है। जबकि भाजपा के पास एक 108 विधायक हैं। अगर राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों का समर्थन जरूरी है। राज्य में भाजपा के नेता अच्छी तरह से जानते थे अगर वह सभी निर्दलीय,सपा और बसपा के विधायकों का समर्थन हासिल कर लें, तो भी उसे सरकार बनाने में दिक्कत होगी।

उसके बावजूद राज्य के नेता कमलनाथ सरकार को गिराने की धमकी दे रहे थे। जिसका खामियाना अब भाजपा को भुगतना पड़ रहा है। फिलहाल कमलनाथ की रणनीति से भाजपा के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी है। राज्य में भाजपा अपना कुनबा बचाने की जुगत में लगा है तो कमलनाथ अपना कुनबा बढ़ा रहे हैं।

फिलहाल दो विधायकों का समर्थन मिलने के बाद कमलनाथ दावा कर रहे हैं कि भाजपा के पांच और विधायक उनके संपर्क में है। जिसको लेकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ हुई हैं। बहरहाल केन्द्रीय नेतृत्व माना रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम में  प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का प्लान फेल हुआ है और आने वाले समय में इन नेताओं को पार्टी नेतृत्व की गाज गिरनी तय मानी जा रही है।