भारतीय जनता पार्टी में उम्मीदवारों के चयन के लिए जबरदस्त प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए पार्टी और संघ दोनों ने ही अलग अलग सर्वेक्षण किये हैं। जिससे इकट्ठा किए गए तथ्यों के विश्लेषण के आधार पर टिकट का बंटवारा किया जाएगा।
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए उम्मीदवारों के सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है।
संघ और पार्टी में उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने उम्मीदवारों के चयन के लिए तीन सर्वेक्षण कराए हैं, जबकि आरएसएस ने एक सर्वे कराया है और सभी लोकसभा क्षेत्रों की संस्थागत रिपोर्ट तैयार की गई है।
फिलहाल यह माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में इसी सर्वे के आधार पर पार्टी उम्मीदवारों का चयन करेगी।
बीजेपी का सर्वे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशों के आधार पर कराया गया है। इसके लिए बाहर की पेशेवर एजेन्सियों से काम कराया गया।
पार्टी के अंदरूनी स्रोतों का कहना है कि बड़ी संख्या में पिछली लोकसभा के सदस्यों का टिकट कट सकता है। माना जा रहा है कि लगभग 40 फीसदी सांसद अपनी सीटें गवां सकते हैं।
पार्टी ने जो सर्वे कराया उसमें ध्यान रखा गया कि पिछले पांच सालों में सांसद का अपने क्षेत्र में प्रदर्शन कैसा रहा और पिछले पांच सालों में वह पार्टी का एजेन्डा आगे बढ़ाने में कामयाब रहे या नहीं।
सबसे कठिन सवाल तब हुआ जब सांसदों से पूछा गया कि आखिर क्यों उन्हें एक बार फिर से पार्टी टिकट दे। वहीं नए उम्मीदवारों से पूछा जा रहा है कि वह किस तरीके से पार्टी को आगे बढ़ाएंगे और किस आधार पर वर्तमान सांसद को टिकट नहीं दिया जाना चाहिए।
बीजेपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘इस बार बीजेपी अच्छी स्थिति में है, इसलिए अपने कार्यकर्ताओं को ज्यादा टिकट दे सकती है। पिछली बार बहुत से बाहरी उम्मीदवार पार्टी के सिंबल पर लड़े थे। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रवाद के ज्वार की वजह से पार्टी अच्छी स्थिति में है। पिछली बार के बहुत से बाहरियों का इस बार टिकट काटा जा सकता है।’
उन्होंने आगे कहा कि ‘पिछली बार कुशवाहा की आरएलएसपी और मांझी की हम जैसी कई पार्टियों के साथ एलायंस किया गया था। इस बार बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह सिर्फ बड़े सहयोगियों के साथ ही जाना पसंद करेगी। छोटी पार्टियो को दरवाजा दिखाया जा सकता है।’
इस दौरान जो लोग इस सरकार के दौरान पार्टी लाइन से थोड़ा भी भटकते हुए दिखे, उनके टिकट कटने का खतरा ज्यादा है।
उदाहरण के तौर पर झारखंड के बहुत से सांसदों ने सोशल मीडिया पर पार्टी के सीट शेयरिंग फॉर्मूले के खिलाफ आवाज उठाई थी। ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देशभर की संसदीय सीटों पर अपना एक अलग सर्वे कराया है। हालांकि इसे सभी सांसदों और उन्हें संभावित रुप से चुनौती देने वाले उम्मीदवारों का रिपोर्ट कार्ड कहा जा रहा है। इसे बनाने की जिम्मेदारी विभाग प्रचारकों की रही थी।
बीजेपी के सूत्रों ने जानकारी दी है कि पार्टी कड़े मुकाबले वाले राज्यों में स्वतंत्र बीजेपी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर की रिपोर्ट इकट्ठा करने के लिए भेजा है।
इन सभी स्रोतों के इकट्ठा किए हुए तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद ही पार्टी कोई फैसला लेगी।
Last Updated Mar 13, 2019, 6:19 PM IST