मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को टिकट दिया है। यह वही साध्वी प्रज्ञा हैं, जिन्हें यूपीए सरकार के शासनकाल में हिंदू आतंकवादी बताकर जेल में बंद कर दिया गया था। यही नहीं इस दौरान उन्हें इतनी प्रताड़ना दी गई कि उन्हें कैंसर हो गया और वह मरते मरते बचीं। आईए जानते हैं कि आखिर क्यों साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को ही चुना गया दिग्विजय सिंह को टक्कर देने के लिए-
भोपाल: हिंदू आतंकवाद का आरोप झेल रही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर औपचारिक रुप से बीजेपी में शामिल हो गई हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान, संगठन मंत्री राम लाल और पार्टी महासचिव प्रभात झा से मुलाकात की।
इसके बाद उन्होंने घोषणा की कि ‘मैं आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गई हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं चुनाव लडूंगी और जीतूंगी भी’।
Sadhvi Pragya Singh Thakur in Bhopal: I have formally joined BJP, I will contest elections and will win also. #LokSabhaElections2019pic.twitter.com/siAsXSMm1U
— ANI (@ANI) 17 अप्रैल 2019
भोपाल सीट पर 12 मई को मतदान होने वाला है। कांग्रेस की तरफ से उसके दिग्गज नेता और पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह मैदान में हैं। जिन्हें बीजेपी के टिकट पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर टक्कर दे रही हैं।
लेकिन साध्वी प्रज्ञा का रास्ता इतना आसान नहीं था। उन्होंने हिंदुत्व के आंदोलन के लिए इतनी कुर्बानियां दी हैं कि बीजेपी के सामने उन्हें टिकट देने के सिवा कोई और रास्ता नहीं था।
उन्हें दिग्विजय सिंह के सामने इसलिए उतारा गया क्योंकि दिग्गी राजा ही वह शख्स हैं, जिनकी वजह से साध्वी प्रज्ञा को नौ साल जेल की सलाखों के पीछे बिताने पड़े।
दरअसल दिग्विजय सिंह ने ही सबसे पहले हिंदू आतंकवाद का जुमला तैयार किया था। यह खुलासा किया था गृह मंत्रालय के पूर्व अवर सचिव आरवीएस मणि ने।
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दिग्विजय सिंह द्वारा गढ़े गए हिंदु आतंकवाद के शिगूफे को अमली जामा पहनाने के लिए यूपीए सरकार के दौरान मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया।
उनपर आरोप लगाया गया कि विस्फोट में जिस मोटरसायकिल का इस्तेमाल किया गया वह साध्वी प्रज्ञा के नाम से रजिस्टर्ड थी। हालांकि यह मोटरसायकिल साध्वी लगभग एक साल पहले ही दूसरे को बेच चुकी थीं। लेकिन फिर भी साध्वी प्रज्ञा नौ साल तक जेल में बंद रहीं।
हालांकि बाद ने साध्वी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। लेकिन नौ साल तक जेल में रहने के दौरान उन्हें इतनी बेरहमी से यातनाएं दी गईं कि उन्हें कैंसर हो गया। इस महिला साध्वी से जेल में अश्लील व्यवहार किया गया, उन्हें जबरन मांस मछली खिलाया गया। लगातार पिटाई की गई और अमानवीय यातनाएं दी गईं।
बिना महिला पुलिस की उपस्थिति के उनके कपड़े तक उतारे गए।
लेकिन अपनी मानसिक शक्ति से साध्वी प्रज्ञा लगातार जुल्मो सितम का सामना करती रहीं। खास बात यह है कि साध्वी को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे और एक और अधिकारी 26/11 के हमले में मुंबई में असली आतंकवादियों के हाथों मारे गए।
साध्वी की इन सभी दुश्वारियों का पहला और आखिरी कारण कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह थे। जिनके हिंदू आतंकवाद के झूठे जुमले को पोषित करने के लिए सरकारी एजेन्सियों ने साध्वी पर जुल्म ढाए।
यही वजह है कि बीजेपी ने लोकतांत्रिक तरीके से साध्वी प्रज्ञा को दिग्विजय सिंह के सामने अपने उपर किए गए जुल्मों का हिसाब लेने के लिए मैदान में उतारा है।
वीडियो देखें- टिकट की घोषणा से पहले बीजेपी नेताओं के साथ बैठक करने जाती हुई साध्वी प्रज्ञा-
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Last Updated Apr 17, 2019, 5:24 PM IST