बीजेपी के बुजुर्ग दिग्गज लाल कृष्ण आडवाणी ने आज एक ब्लॉग लिखा। माय नेशन आपके लिए लाया है अंग्रेजी में लिखे इस ब्लॉग का हिंदी अनुवाद-
यह बीजेपी में हम सब के लिए अति महत्वपूर्ण अवसर है, अपने चारो ओर नजर रखने के साथ अपने अंदर भी झांकने का।
मैं भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एक के रुप में कार्य किया है। मैं मानता हूँ कि ये मेरा कर्तव्य है कि मैं भारत के लोगों के साथ अपने नजरिए को साझा करूँ, और विशेषकर मेरी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के साथ। क्योंकि इन्हीं दोनों के सम्मान और स्नेह का मैं कर्जदार रहा हूँ।
अपने विचारों को साझा करने से पहले, मैं गांधीनगर के लोगों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने 1991 के बाद से मुझे छह बार लोकसभा के लिए चुना। उनके प्यार और समर्थन ने मुझे हमेशा अभिभूत किया है।
मातृभूमि की सेवा करना तब से मेरा जुनून और मिशन रहा है, जब 14 साल की उम्र में मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा था। मेरा राजनीतिक जीवन लगभग सात दशकों से मेरी पार्टी के साथ अविभाज्य रूप से जुड़ा रहा है- पहले भारतीय जनसंघ के साथ और बाद में भारतीय जनता पार्टी के साथ। मैं दोनों ही पार्टियों के संस्थापक सदस्यों में से था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान, निस्वार्थ और प्रेरणादायक नेताओं के साथ मिलकर काम करना मेरा दुर्लभ सौभाग्य रहा है।
मेरे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत 'पहले देश, फिर पार्टी और आख़िर में स्वयं' रहा है। हालात कैसे भी रहे हों, मैंने इन सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश की है और आगे भी करता रहूंगा।
भारतीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति का सम्मान और इसकी विभिन्नता है। अपनी स्थापना के बाद से ही भाजपा ने कभी उन्हें कभी 'शत्रु' नहीं माना जो राजनीतिक रूप से हमारे विचारों से असहमत हो, बल्कि हमने उन्हें अपना सलाहकार माना है। इसी तरह, भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमने कभी भी उन्हें, 'राष्ट्र विरोधी' नहीं कहा, चाहे उनसे हमारी राजनीतिक अहसमति भी रही हो।
पार्टी निजी और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध है।
देश में और पार्टी के भीतर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा भारत के लिए गर्व की बात रही है। इसलिए, भाजपा हमेशा मीडिया समेत हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की आज़ादी, अखंडता, निष्पक्षता और मज़बूती की मांग करने में सबसे आगे रही है। भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिए चुनावी सुधार, राजनीतिक और चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता पर विशेष ध्यान देना पार्टी के लिए प्राथमिकता रहा है।
संक्षेप में, सत्य, राष्ट्र निष्ठा और लोकतंत्र ने मेरी पार्टी के संघर्ष के विकास को निर्देशित किया। इन सभी मूल्यों से मिलकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज (गुड गवर्नेंस) बनता है, जिन पर मेरी पार्टी हमेशा से बनी रही। आपातकाल के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक संघर्ष भी इन्हीं मूल्यों को बनाए रखने के लिए था।
ये मेरी ईमानदार इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत की लोकतांत्रिक शिक्षा को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। सच है कि चुनाव, लोकतंत्र का त्योहार है। लेकिन वे भारतीय लोकतंत्र के सभी हितधारकों - राजनीतिक दलों, मास मीडिया, चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों और सबसे बढ़कर मतदाताओं के लिए ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण का एक अवसर है।
Last Updated Apr 5, 2019, 1:59 PM IST