बीजेपी दिग्गज लाल कृष्ण आडवाणी ने आज एक ब्लॉग के जरिए अपने विचार साझा किए। उन्होंने गांधीनगर के मतदाताओं को धन्यवाद दिया। पार्टी में अपने शुरुआती योगदान को याद किया। लेकिन साथ में चुनावी युद्ध के नियम तय करने की कोशिश की। लेकिन बुजुर्ग राजनेता शायद वर्तमान चुनावी राजनीति के स्तर से अनभिज्ञ है। जहां विपक्ष सारी मर्यादाएं लांघकर हमले में जुटा है।
नई दिल्ली: लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा कि ‘मेरे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत 'पहले देश, फिर पार्टी और आख़िर में स्वयं' रहा है। हालात कैसे भी रहे हों, मैंने इन सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश की है और आगे भी करता रहूंगा’।
प्रधानमंत्री सहित सरकार में शामिल सभी मंत्रियों का आचरण आडवाणी जी द्वारा बताए गए इन मूल सिद्धांतों के अनुरुप ही दिखता है। एकाधिक अपवाद हर जगह पाए जाते हैं।
लेकिन आडवाणी जी ने अपना ब्लॉग लिखते समय यह भी जोड़ दिया कि ‘ भारतीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति का सम्मान और इसकी विभिन्नता है। अपनी स्थापना के बाद से ही भाजपा ने कभी उन्हें कभी 'शत्रु' नहीं माना जो राजनीतिक रूप से हमारे विचारों से असहमत हो, बल्कि हमने उन्हें अपना सलाहकार माना है। इसी तरह, भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमने कभी भी उन्हें, 'राष्ट्र विरोधी' नहीं कहा, चाहे उनसे हमारी राजनीतिक अहसमति भी रही हो’।
दरअसल आडवाणी जी राजनीतिक जंग की सीमाएं तय करती यह पंक्तियां लिखते समय यह भूल गए कि 2019 का चुनाव पहले की तरह सरल नहीं रहा। इस बार के चुनाव में दांव पेंच, राजनीतिक साजिश, सोशल मीडिया पर संघर्ष से लेकर निजी हमले की सभी सीमाएं लांघी जा चुकी हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 को मोदी विरोधियों ने अस्तित्व का संघर्ष बना लिया है। इसके लिए हर स्तर पर हमले हो रहे हैं। कांग्रेस के घोषणापत्र और उनके महागठबंधन के नेताओं के बयानों में मोदी विरोध का चरम दिखाई दे रहा है।
ऐसे में सत्ता पक्ष से राजनीतिक शुचिता की उम्मीद करना बेमानी होगा। क्योंकि इस बार की हार का परिणाम नए भारत के सपने का नष्ट हो जाना होगा, जो कि देश के लिए बहुत बड़ी कीमत है।
आडवाणी जी का यह कहना कि ‘बीजेपी निजी और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध है’।
इस बात से किसी को भी असहमति नहीं है। लेकिन याद रखिए कि लोकसभा चुनाव 2019 में कन्हैया कुमार जैसे देशद्रोह के आरोपी संसद जाने की प्रक्रिया में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शामिल हो गए हैं। ऐसे में देश के लिए घातक उनकी अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन कैसे किया जा सकता है?
आडवाणी जी की इन बातों से किसी को कोई असहमति नहीं है जिसमें वह ख्वाहिश जताते हैं कि ‘ ये मेरी ईमानदार इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत की लोकतांत्रिक शिक्षा को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। सच है कि चुनाव, लोकतंत्र का त्योहार है। लेकिन वे भारतीय लोकतंत्र के सभी हितधारकों - राजनीतिक दलों, मास मीडिया, चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों और सबसे बढ़कर मतदाताओं के लिए ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण का एक अवसर है’।
आडवाणी का पूरा ब्लॉग हिंदी में यहां पढ़ें
इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आडवाणी जी के ब्लॉग को ट्विट किया और इसे बीजेपी के मूल विचारों के अनुरुप करार दिया है।
Advani Ji perfectly sums up the true essence of BJP, most notably the guiding Mantra of ‘Nation First, Party Next, Self Last.’
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) 4 अप्रैल 2019
Proud to be a BJP Karyakarta and proud that greats like LK Advani Ji have strengthened it. https://t.co/xScWuuDuMq
Last Updated Apr 5, 2019, 4:34 PM IST