नई दिल्ली। बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस पर पहले बहस होगी और उसके बाद वोटिंग की जाएगी। लोकसभा में बिल पास होने के बाद केन्द्र सरकार के सामने इस बिल को पास कराने की चुनौती है। हालांकि संभावना है कि केन्द्र सरकार तीन तलाक कानून की तरह इसे भी राज्यसभा में पारित कराने में सफल होगी। फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस बिल को पास कराने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। हालांकि ये भी चर्चा है कि बिल के लिए जरूरी बहुमत जुटाने के बाद ही सरकार इस पर वोटिंग कराएगी।

हालांकि अभी तक केन्द्र सरकार विपक्षी एकता में सेंध लगाने में कामयाब रही है। लोकसभा में सोमवार को बिल पारित हो गया है। जिसके बाद अब इसे राज्यसभा के बुधवार को पेश किया जाएगा। भाजपा को जनता दल यूनाइटेड के आने से ताकत मिली है। तो शिवसेना के यू टर्न से भाजपा सकते है। हालांकि शिवसेना ने महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार की मजबूरियों के चलते यू टर्न ले लिया है। शिवसेना ने साफ किया है कि इस बिल पर उसकी आशंकाओं के निराकरण करने के बाद ही अपना रूख साफ करेगी।

हालांकि लोकसभा में केन्द्र सरकार के साथ विपक्षी दलों में वाईआएस कांग्रेस, बीजेडी ने साथ दिया। ये दोनों दल तीन तलाक के बिल पर पहले भी केन्द्र सरकार का साथ दे चुके हैं। गौरतलब है कि राज्य सभा में 245 सांसद है। इस आधार पर किसी बिल को पारित कराने के लिए 121 सदस्यों की जरूरत होती है। अभी सदन में पांच सीटें खाली है। वहीं भाजपा के सदन में 83 सांसद हैं। जबकि जेडीयू के छह सांसदों के आने से भाजपा की मुश्किलें आसान हुई हैं।

इसके साथ ही एआईडीएमके सरकार को समर्थन दे रही है और उसके सदन में 11 सांसद हैं। वाईआरएस कांग्रेस के पास दो सांसद हैं। जो भाजपा के साथ खड़े हैं। इसी तरह से बीजेडी के 7 सांसदों का समर्थन सरकार को हासिल है। चर्चा है कि कुछ छोटी पार्टियों ने भाजपा के प्रबंधन को आश्वासन दिया है कि वह वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहेंगी। जिससे सरकार को इसका लाभ मिलेगा।

वहीं तीन सांसद अनिल बलूनी, मोतीलाल बोरा और अमर सिंह स्वास्थ्य कारणों से सदन में मौजूद नहीं रहेंगे। लेकिन लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाले तीन शिवसेना इस बिल के विरोध में मतदान कर सकते हैं। माना जा रहा है कि विपक्ष के विरोध के बावजूद केन्द्र सरकार इसके लिए समर्थन आसानी से जुटा लेगी।