भोपाल। मध्य प्रदेश से राज्यसभा के चुनाव दिलचस्प होने जा रहे हैं। राज्य में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। जिसमें एक-एक सीट कांग्रेस और भाजपा को मिलनी तय है। लेकिन असल में लड़ाई तीसरी सीट के लिए होने की संभावना है। जिसके लिए जरूरी आंकड़ा जुटाना दोनों के लिए मुश्किल है।

वहीं भाजपा ने राज्यसभा  के लिए दावेदारों  के नाम लिफाफे में बंद कर केन्द्रीय नेतृत्व को भेज दिए हैं जबकि कांग्रेस में उम्मीदवारी के लिए जंग जारी है। माना जा रहा है कि दोनों दल होली के बाद प्रत्याशियों के नामों का  ऐलान करेंगे। राज्यसभा की तीन सीटें दिग्विजय सिंह, भाजपा नेता सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण खाली हो रही हैं।

राज्यसभा की तीन सीटों के लिए इसी माह होने जा रहे चुनाव को लेकर भाजपा कई नामों पर चर्चा कर सूची को लिफाफे में बंद कर दिल्ली हाईकमान को भेज दिया है।  चुनाव अभियान समिति की बैठक में कई नामों पर चर्चा हुई और इन नामों के केन्द्रीय नेतृत्व को भेज दिया है ताकि किसी भी तरह का विवाद न हो। हालांकि अभी भाजपा को खाते में एक सीट जाना तय है। वहीं दूसरी सीट के लिए भाजपा को 9 मतों की जरूरत होगी। जबकि कांग्रेस को दूसरी सीट के लिए 1  मत की जरूरत होगी।

लिहाजा कांग्रेस ये मान कर चल रही है कि अगर निर्दलीय विधायक और समर्थन दे रहे सपा और बसपा समर्थन दे तो कांग्रेस की सीट पक्की है। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने किसी भी प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है। लेकिन माना जा रहा है कि दो सीटों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रमुख दावेदार हैं। राज्य में चुनाव से पहले सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस, भाजपा विधायकों को तोड़ने और खरीद-फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के दस लापता विधायकों में से सात विधायक वापस आ गए हैं।

राज्य की विधानसभा में 230 सीटें और इसमें दो सीटें खाली हैं। कांग्रेस के पास विधानसभा में 114 हैं जबकि भाजपा के पास 107 विधायक हैं। वहीं राज्य सरकार को निर्दलीय चार, बसपा के दो और सपा का एक विधायक समर्थन दे रहा है। राज्य में राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 58 विधायकों का समर्थन चाहिए। इस तरह दो सीटों के लिए कांग्रेस या भाजपा को 116 विधायकों का समर्थन पाना होगा।