नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद अब घमासान शुरू हो गई है। जहां कांग्रेस के नेताओं में हार के इस्तीफा देना शुरू हो गया है। वहीं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और शर्मिष्ठा मुखर्जी के बीच जंग शुरू हो गई है। मुखर्जी ने हार के बाद चिदंबरम की क्लास ली है।

मंगलवार को परिणाम घोषित होने के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने इस्तीफा दिया था। पहली बार कांग्रेस को 63 सीटों में जबरदस्त शिकस्त मिली है और वह 66 में से 63 सीटों पर जमानत तक नहीं बचा पाई है। वहीं कांग्रेस में स्थानीय नेता राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो राष्ट्रीय स्तर के नेता इसके लिए प्रबंधन को जिम्मेदार बता रहे हैं। कल ही सुभाष चोपड़ा ने इस्तीफा दिया था जबकि आज  दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के चलते इस्तीफा दिया है।

हालांकि चुनाव से पहले चाको दावा कर रहे थे कि पार्टी बहुमत में आ रही है लेकिन पार्टी की दिल्ली में 66 सीटों में 63 सीटों पर जमानत तक जब्त हो गई है। ऐसा ही कुछ हाल उसके सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल का है। उसके भी चार सीटों पर जमानत जब्त हो गई है। लिहाजा अब स्थानीय स्तर के नेता पार्टी  के प्रदेश कमान पर सवाल  उठाने लगे हैं। ये दूसरी बार है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में अपना खाता तक नहीं खोल सकी है।

जबकि छह महीने हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था और दूसरे स्थान पर आई थी जबकि आप को करारी  हार मिली थी। वहीं दिल्ली कांग्रेस महिला चीफ और राष्ट्रीय प्रवक्ता  शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी हार पर मंथन करने की कही है। मुखर्जी की दिल्ली की हार को लेकर पूर्व वित्तमंत्री से बहस भी हुई है। क्योंकि चिदंबरम ने कहा था कि इस हार के लिए कांग्रेस को खुश होना चाहिए।

जबकि मुखर्जी का कहना है कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर लेना चाहिए। आज चाको ने इस्तीफा देने के बाद दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी जिम्मेदार ठहराया है। चाको ने कहा कि आप ने दिल्ली में कांग्रेस का वोट बैंक को छीन लिया। पार्टी के महज तीन दिग्गज नेता अरविंदर सिंह लवली, बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त ही अपनी जमानत बचा पाए।