कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए नई रणनीति बनाने जा रही है.ताकि जातीय समीकरणों को साध कर लोकसभा चुनाव में केन्द्र की भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल किया जाए.
कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए नई रणनीति बनाने जा रही है.ताकि जातीय समीकरणों को साध कर लोकसभा चुनाव में केन्द्र की भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल किया जाए. कांग्रेस की ये रणनीति है कि राज्यों में संगठन की कमान तेज तर्रार, अनुभवी और युवा नेताओं के हाथ में दी जाए. लिहाजा माना जा रहा है कि यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का बदला जाना तय है.
तीन राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जीतने क बाद इन राज्यों की कमान नए नेताओं को देने की तैयारी है. राजस्थान में सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री हैं तो छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल राज्य में मुख्यमंत्री नियुक्त किए हैं जबकि कमलनाथ को भी प्रदेश की कमान सौंपी गयी है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में भी संगठन का मुखिया बदला जाना तय है. लिहाजा इन राज्यों में संगठन की कमान युवा, अनुभवी और तेज तर्रार नेताओं की दी जा सकती है. हाल ही में पार्टी ने शीला दीक्षित का दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी में कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान संगठन का काम कार्यकारी अध्यक्षों के जिम्मे रहे. जिन प्रदेश अध्यक्षों को चुनाव लड़ना है, उनमें यूपी के अध्यक्ष राजबब्बर, हरियाणा के अध्यक्ष अशोक तंवर, पंजाब के अध्यक्ष सुनील जाखड़, महाराष्ट्र के अध्यक्ष अशोक चव्हाण प्रमुख हैं. केरल के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन के विषय में कहा जा रहा है कि वह चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं.
वहीं झारखंड के अध्यक्ष अजय कुमार भी लोकसभा चुनाव लड़ने से कहीं ज्यादा प्रदेश अध्यक्ष बने रहने में दिलचस्पी रखते हैं. विधानसभा चुनाव में खराब नतीजों के बाद तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी को लोकसभा चुनाव तक बनाए रखने के पक्ष में कोई वरिष्ठ नेता नहीं हैं. प्रदेश अध्यक्ष लोकसभा चुनाव लड़ने के बावजूद पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं.
पार्टी छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ और राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट को लोकसभा चुनाव तक प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने के पक्ष में है, ताकि प्रबंधन में कोई मुश्किल न आए. पिछले लोक सभा चुनाव में इन तीनों राज्यों की तीन सीटों को छोड़कर सभी सीटें भाजपा ने जीती थीं. विधानसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन की वजह से राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में इन राज्यों से बड़ी उम्मीद लगा रखी है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहुमत जुटाने में मुश्किल रही है.
इसलिए विधायकों को फिलहाल लोकसभा चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं होगी. छत्तीसगढ़ में अवश्य कुछ विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ाने के बारे में सोचा जा रहा है. विधानसभा का चुनाव हार गए कुछ प्रमुख नेताओं को पार्टी लोकसभा का चुनाव लड़ा सकती है. इनमें राजस्थान में रामेश्वर डूडी, मध्य प्रदेश में अजय सिंह और छत्तीसगढ़ में अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला के नाम चर्चा में है.
Last Updated Jan 15, 2019, 10:47 AM IST