नई दिल्ली। देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और रोजाना 80 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं। वहीं देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बाजार में वैक्सीन नहीं आई है। महज रूस की ही इस वैक्सीन को विकसित कर चुका है। हालांकि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दावा किया था कि देश में अगले साल जुलाई तक वैक्सीन आ जाएगा। वहीं अब केन्द्र सरकार ने कोरोना में आयुर्वेद के जरिए इलाज करने के लिए मंजूरी दे दी है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने प्रोटोकॉल जारी किया है।

फिलहाल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए योग और आयुर्वेद आधारित मैनेजमेंट प्रोटोकॉल की अनुमति दी है और इसके लिए इसे जारी किया है। मंत्रालय ने साफ कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से कोरोना को रोका जा सकता है और आयुर्वेद और योग के जरिए इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है। लिहाजा केन्द्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद कोरोना का इलाज अब पूरी तरह से आयुर्वेद और योग से हो सकता है। इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल जारी किया है, लेकिन इस प्रोटोकॉल के तहत कोरोना के सिर्फ हल्के मामलों का ही इलाज किया जा सके।

हालांकि ये बात पूरी तरह से सिद्ध हो चुकी है कि आयुर्वेद के जरिए कोरोना के मामलों को कम किया जा सकता है।  इसके लिए दिल्ली स्थित आयुष मंत्रालय के संस्थान ने 275 कोरोना संक्रमित मरीजों का अब तक सफलता पूर्वक इलाज किया है। वहीं केन्द्र सरकार ने कोरोना के गंभीर मामलों में मरीजों को एलोपैथिक इलाज के लिए कोविड अस्पताल में भेजना अनिवार्य किया गया है। आयुर्वेद के जरिए कोरोना का इलाज कराने के लिए प्रोटोकॉल जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि इलाज में ट्रायल के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं और योग के प्रामाणिक रूप से प्रभावी पाए जाने इस पर फैसला किया गया है। लेकिन ये सिर्फ हल्के लक्षणों के लिए जारी किया गया है।

गंभीर स्थिति में कोविड अस्पताल में मरीज को भर्ती करना हो होगा। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों की एक टीम ने इसके लिए प्रोटोकॉल तैयार किया है और इसमें ये बताया गया है कि मरीजों को कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवाएं कितनी मात्रा में कितनी बार देनी हैं। वहीं योग के जरूरी आसनों के बारे में भी जानकारी दी गई है। आयोग के सदस्य और कोरोना पर बनी टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने बताया कि अब देश के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज सुलभ हो सकेगा। आयुर्वेदिक डॉक्टर किसी माइल्ड या मोडरेट मरीज को होम आइसोलेशन के दौरान इन दवाओं को दे सकते हैं। इसके साथ ही बाजार में सामान्य रूप से उपलब्ध आयुर्वेदिक दवाओं को मरीज खुद भी  इस्तेमाल कर सकते हैं।  देश में पहली बार सरकारी तौर पर आयुर्वेद और योग को किसी महामारी के इलाज के लिए मंजूरी दी है।

हालांकि आयुर्वेदिक डॉक्टर खुद अपने अनुभव के आधार पर मरीजों का इलाज कर रहे थे। वहीं कोरोना संकट काल में आयुर्वेदिक दवाइयां काफी सफल रही हैं और ये शरीर की प्रतिरोध क्षमता को बढ़ा रही है। दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण के बीच ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को इम्युनिटी बूस्टर के रूप में आयुर्वेदिक दवाएं मुफ्त में दी जा रही हैं। वहीं केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इम्युनिटी बूस्टर वाली दवाओं से आयुर्वेद कोरोना काल में अपनी अहमियत साबित करने में सफल रहा है। सरकार ने क्लीनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल में लोगों को अश्वगंधा, गुडूची, पिप्पली आदि के सेवन और अनु तेल के इस्तेमाल की सलाह कोरोना के बीमारी में करने के लिए दी है।  वहीं अधिक जोखिम वाले लोगों और मरीजों के संपर्क में आए लोगों के उपचार के लिए अश्वगंधा, गुडूची घनवटी और च्यवनप्राश देने का सुझाव दिया गया है।