मामला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का है। जहां हरपालपुर क्षेत्र के भदर्रा सहकारी समिति अंतर्गत आने वाले ग्राम मबैया, इमलिया, के सैकड़ो किसान कर्ज़ लिये बगैर ही कर्ज़दार घोषित कर दिये गए हैं।

जानकारी के मुताबिक हैरान परेशान किसानों ने जब पंचायत भवन में चस्पा कर्जदार किसानों की सूची देखी और उसमें अपने नाम देखे तो वह दंग रह गये और कुछ तो गश खा बेहोश हो कर गिर गये।

दरअसल जिन किसानों ने कभी सहकारी समिति से कोई लेन-देन किया ही नहीं कोई बकाया लिया ही नहीं बाबजूद इसके उन पर एक से 2 लाख रुपये का कर्जा निकल रहा है। 
किसान कर्जमाफी की लिस्ट देखकर वे हैरान और परेशान हो गये हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने कर्ज़ लिया ही नहीं और जो पूर्व में 2008-9 में लिया था उसका माफ़ी/चुकती का उनके पास प्रमाणपत्र है। इसके बाद उन्होंने कभी कर्ज़ लिया ही नहीं। बिना उनकी सहमति या जानकारी के सहकारी समिति प्रबंधक द्वारा रुपयों की निकासी की गई है।

सहकारी समिति द्वारा जो कर्जदार किसानों जो सूची जारी की गई उनमें से सौ से अधिक किसान ऐसे हैं जिन्होंने सहकारी समिति से कोई कर्जा लिया ही नहीं। और सूची ही कि उन्हें कर्ज़दार घोषित कर रही है।

किसानों की मानें तो कई मृतकों के नाम पर भी कर्ज़ की लिस्ट निकाली जा रही है। कई तो ऐसे हैं कि जिन्होंने कभी सोसायटी बैंकों में प्रवेश ही नहीं किया उनके नाम भी कर्ज़ लिस्ट में शामिल हैं। कुछ ने साल 2008-9 में लिया भी था तो उनके पर कर्ज़ चुकती और माफी के प्रमाणपत्र हैं उसके बाद से उन्होंने कुछ भी लिया ही नहीं जिन किसानों ने अपने जीवनक़ाल में कभी अपने घाटों में एक लाख रुपये एक साथ नहीं देखे उन पर दो-दो लाख रुपये का कर्ज़ बकाया बताया जा रहा है।

हैरान करने वाली बात यह है कि अग़र बीते सालों में इन किसानों पर इतना कर्ज़ था तो अब तक बैंक/सोसायटी वगैरह शांत और चुप क्यों रहे। और अब कर्ज़ माफ़ी की सरकारी घोषणा के बाद किसानों के कर्ज की लिस्ट का जिन्न निकल कर बाहर आया है। 

इस मुद्दे पर जब माय नेशन ने  जिला कॉपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष नन्नू चौबे से बात की तो उन्होंने टालने वाले लहजे में बताया कि हम इस मामले की जांच करेंगे। 

"

सिर्फ एक जिले में सैकड़ों किसानों से कर्जमाफी के नाम पर हुए इस फर्जीवाड़े की खबर से अंदाजा लगता है कि मध्य प्रदेश जैसे विशाल राज्य में कितने बड़े स्तर पर इस तरह की गड़बड़ी चल रही होगी।