नई दिल्ली: जेएनयू देशद्रोह मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के होम डिपार्टमेंट ने सेंशन देने के लिये कुछ समय मांगा था। जिस पर कोर्ट ने पूछा कितना समय लगेगा। सरकार के तरफ से कहा गया कि 1 महीने का समय लगेगा। 

जिसपर कोर्ट ने कहा कि लेटर में ऐसा कुछ नही लिखा है। कोर्ट दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि पूछ कर लिखित में बताइए कि कितने दिन लगेंगे सेंशन देने में। कोर्ट 5 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। 

पिछली सुनवाई के दौरान स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा पेश हुए थे। उन्होने कोर्ट को बताया था कि देशविरोधी नारे लगाने के मामले में कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ अब तक केस चलाने की मंजूरी नही मिली है। 

डीसीपी ने कहा था सेंशन एक प्रशासनिक प्रक्रिया है। हमने दिल्ली सरकार के संपर्क में है। डीसीपी ने कोर्ट को यह भी बताया था कि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से सेंशन के लिए 3 पत्र लिखा गया है। लेकिन वहां से अब तक किसी भी पत्र का जवाब नही आया। 

आरोप पत्र में कन्हैया कुमार, अर्निबान भट्टाचार्य, खालिद उमर सहित 10 लोगो के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया गया है, जिसमें 7 कश्मीरी छात्र आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। 

वहीं आरोप पत्र की कॉलम संख्या 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा की बेटी अपराजिता, जेएनयूएसयू की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार और बनोज्योत्सना लाहिरी सहित कम से कम 36 अन्य लोगों के नाम है, क्योंकि इन लोगों के खिलाफ फिलहाल सबूत नही है। 

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह), धारा 323 (किसी को चोट पहुचाना), धारा 465 (जालसाजी के लिए सजा), धारा 471(फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड को वास्तविक तौर पर इस्तेमाल करना), धारा 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने के लिए सजा), धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र सदस्य होना), धारा 147 (दंगा फैलाने के लिए सजा) और 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत आरोप लगाए गए है। 

पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में दाखिल किया है। यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी की वरसी पर आयोजित किया गया था।