नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अदालत में पेश होना अच्छा नहीं लगता। लेकिन 16 जुलाई को उन्हें अदालत में पेश होना ही पड़ेगा। अदालत ने बेहद सख्त रुख अख्तियार करते हुए केजरीवाल को चेतावनी दी है कि अगर वह इस तारीख को अदालत में पेश नहीं हुए तो सख्ती बरती जाएगी। 

केजरीवाल पर आपराधिक मानहानि के दो मुकदमे चल रहे हैं। जिसमें से एक बीजेपी सांसद रमेश विधूड़ी ने दर्ज कराई है जबकि दूसरा मुकदमा बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने दर्ज कराया है। 

यह दोनों मामले दिल्ली की राऊज एवनयू कोर्ट में चल रहे हैं। विधूड़ी वाले मामले में 16 जुलाई को कोर्ट यह तय करेगा कि मामले  केजरीवाल को अदालत में खुद बयान दर्ज  करवाएंगे कराने या वकील के जरिये बयान दर्ज करवाया जाए। लेकिन राजीव बब्बर के मामले में उन्हें पेश होना ही पड़ेगा। 

इस मामले में केजरीवाल की ओर से पेश वकील ने अर्जी दाखिल कर इस बार की पेशी से छूट मांगी थी। 

केजरीवाल का कहना था कि दिल्ली हाइकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश का शपथ ग्रहण समारोह है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें हिस्सा लेना है। लिहाजा इस बार उन्हें पेशी से छूट दे दी जाए। अदालत ने केजरीवाल की अपील स्वीकार करते हुए अब उन्हें हर हाल में 16 जुलाई को पेश होने का आदेश दिया है। 

पिछ्ली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बीजेपी नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि वोट कटने और जुड़ने का प्रोसेस क्या है। 

बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने केजरीवाल और अन्य के खिलाफ मानहानि की याचिका दायर की है। कोर्ट में दायर याचिका में केजरीवाल ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उसने दिल्ली में मतदाता सूची से अग्रवाल मतदाताओं के नाम कटवा दिए है। 

इसपर दिल्ली बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर रहते हुए जो टिप्पणी की है उससे पार्टी की छवि खराब हुई है। केजरीवाल ने आठ दिसंबर 2018 को ट्वीट कर दावा किया था कि, अग्रवाल समाज के दिल्ली में कुल आठ लाख वोट है जिनमे से लगभग चार लाख भाजपा ने वोट करवा दिए हैं? इतना ही नही केजरीवाल ने कहा आजतक यह समाज भाजपा का कट्टर वोटर था। इस बार नोटबंदी और जीएसटी कब चलते ये समाज नाराज है तो बीजेपी ने इनके वोट ही कटवा दिए? यह बेहद शर्मनाक है। 

आम आदमी पार्टी के नेता यह मामला लेकर चुनाव आयोग भी गए थे  लेकिन चुनाव आयोग ने इस आरोप को खारिज कर दिया था। जिसके बाद आप नेता आतिशी ने कहा था कि कई जिंदा लोगों को भी मृत दिख दिया गया था। चुनाव आयोग द्वारा यह अब भाजपा को लाभ पहुचाने के लिए किया जा रहा है। उनका आरोप था कि दिल्ली के नए फार्म नहीं लिए जा रहे है।

 आतिशी ने दावा किया था कि पूर्वी दिल्ली लोकसभा के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में जिनके नाम काटे गए हैं, उनमें ज्यादातर लोग मुस्लिम, पूर्वांचल समाज और बनिया समाज के है। 

इसके खिलाफ दायर मानहानि मामले में आतिशी मारलेना सहित राज्य सभा सांसद सुशील गुप्ता, आम आदमी पार्टी से विधायक मनोज कुमार को कोर्ट ने 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है।