नई दिल्ली: अमेरिका और ईरान के बीच संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। खबर है कि अमेरिका ईरान पर अगले सप्ताह और कठोर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर सकता है। इसके अलावा अमेरिका ने ईरान की मिसाइल नियंत्रण प्रणाली और एक जासूसी नेटवर्क पर साइबर हमला किया है।  यह हमला अमेरिका ने अपने एक ड्रोन को ईरान के द्वारा गिराए जाने के बाद किया है। 

इस हमले से हमले से ईरान के रॉकेट और मिसाइल प्रक्षेपण में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचा है। दो पूर्व खुफिया अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि अमेरिका ने सामरिक हॉर्मूज जलडमरूमध्य में जहाजों पर नज़र रखने वाले एक जासूसी समूह को निशाना बनाया। अमेरिका का आरोप है कि ईरान ने इसी जगह हाल में ही में दो बार तेल टैंकरों पर हमला किया था।

इससे पहले ईरान ने गुरुवार को अमेरिका के एक ड्रोन को मार गिराया। उसका का दावा है कि ड्रोन ने ईरान हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था। इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर हमला करने का ऐलान किया था। लेकिन बाद में उन्होंने हमले का विचार स्थगित कर दिया। 

ट्रंप ने रविवार को कहा कि ईरान के साथ वार्ता के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं है, सिवाय इसके कि वह उसे परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे।  एनबीसी के 'मीट द प्रेस' में जब ट्रंप से सवाल किया गया कि क्या ईरान के साथ बातचीत के लिए कोई पूर्व शर्त है, तो उन्होंने कहा, 'जहां तक मेरा सवाल है, कोई पूर्व शर्त नहीं है'।

इस बीच ईरान की स्टेट टीवी ने जानकारी दी है कि ईरानी रक्षा मंत्रालय के एक पूर्व कर्मचारी को फांसी की सजा दी गई है। उसे अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए जासूसी करने का दोषी पाया गया था। बताया जा रहा है कि जलाल हाजीज़वार को आखिरी हफ्ते में तेहरान के नजदीक एक जेल में फांसी दे दी गई।

ईरानी मीडिया के मुताबिक जलाल ने अदालत में स्वीकार किया कि सीआईए के लिए जासूसी करने के एवज में उसे पैसे दिए गए थे। जलाल के घर से जासूसी उपकरण भी जब्त किए थे। जलाल की पत्नी को भी जासूसी में मदद करने के लिए कोर्ट ने 15 साल के कैद की सजा सुनाई है।