नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के समन का सम्मान करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी के समन का सम्मान करना ही  होगा और उसका जवाब भी देना होगा। पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी अगर किसी को तलब करती है, तो उसके सामने उपस्थित होकर जवाब देना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट की यह बड़ी टिप्पणी तब आई है, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ईडी के 8 समन को लगातार नजरअंदाज कर चुके हैं।

मद्रास हाईकोर्ट की रोक को हटाते हुए शीर्ष अदालत ने की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट में मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने याचिका दाखिल की थी। जिसमें कहा था कि मद्रास हाईकोर्ट में कथित रेत खनन घोटाले में तमिलनाडु के पांच डीएम को जारी ईडी के समन पर स्टेट गवर्नमेंट की याचिका पर सुनवाई करते हुए रोक लगा दी थी। जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने रोक को हटा दिया और जिला कलेक्टरों को ईडी के सामने पेश होने का आदेश दिया है।

"किसी भी व्यक्ति को सबूत पेश करने या उपस्थित होने का समन कर सकती है ईडी"
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने इस प्रकरण में कहा कि यह देखा गया है कि अधिनियम के तहत जारी कार्रवाई के दौरान ईडी किसी भी व्यक्ति को सबूत पेश करने या उपस्थित होने के लिए तलब कर सकती है। जिस किसी को भी समन जारी होते हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि वह ईडी के समान का सम्मान करेंगे और उनका जवाब देंगे। पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी जिस व्यक्ति की मौजूदगी को जांच करने के दौरान जरूरी समझती है, उसे समन जारी कर सकती है। यह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।

ईडी के 8 समन को इग्नोर कर चुके हैं दिल्ली के सीएम केजरीवाल
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई है, दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से संबंधित पूछताछ के प्रकरण में आठ बार संबंध जारी कर चुकी है। लेकिन अरविंद केजरीवाल एक बार भी ईडी के सामने प्रस्तुत नहीं हुए हैं।

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