नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट जुलाई के दूसरे सप्ताह में सुनवाई करेगा। 

यह याचिका बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर की गई है। याचिका में एकजुटता, भाईचारा, राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को समान नागरिक संहिता बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। 

याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित समान नागरिक संहिता लाने में नाकाम रही है। समान नागरिक संहिता विभिन्न समुदायों के शास्त्रों और रीति-रिवाजों पर आधारित पर्सनल लॉ की जगह लेगी। इसमें देश के हर नागरिक के लिए एक समान नियम होना चाहिए।

 याचिका में यह भी कहा गया है कि गोवा में समान नागरिक संहिता 1965 से है, जो उसके सभी बाशिंदों पर लागू होती है और यह एकलौता ऐसा राज्य है जहां पर अभी यह लागू है।

 याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार को सभी धर्मों और पंथों की सर्वोत्तम प्रथाओं, विकसित देशों के नागरिक कानूनों और अंतरराष्ट्रीय परंपरा को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 44 की भावना के तहत तीन महीने के भीतर समान नागरिक संहिता के निर्धारण पर एक न्यायिक आयोग या उच्च स्तरीय विशेषज्ञ कमेटी बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की है।