नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद पार्टी के भीतर की घमासान शुरू हो गया है। दिल्ली की हार किसी कांग्रेसी नेता को कोरोना वाइरस लग रही तो किसी को ये सर्जिकल स्ट्राइक का एहसास दिला रही है। लेकिन पार्टी में किसी के पास इस हार का जवाब नहीं है कि आखिर कांग्रेस की ये दिल्ली में स्थिति कैसे हुई।

कांग्रेस के नेता दावा करते हैं कि कांग्रेस ने दिल्ली में लगातार पन्द्रह साल तक राज किया। लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस की राज्य की 66 सीटों में से 63 सीटों पर जमानत जब्त हो गई।। जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर आई थी और उसका प्रदर्शन राज्य में आप से बेहतर था। लेकिन दिल्ली हार के बाद अब कांग्रेस के दिग्गज नेता  वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पार्टी को ''सख्ती" से सोचना चाहिए और ये हार पार्टी के लिए कोरोना वायरस की तरह है।

वहीं पार्टी के दूसरे दिग्गज नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि दिल्ली में मिली हार पार्टी के लिए ''सर्जिकल स्ट्राइक की तरह है और पार्टी को भी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए दिल्ली में सर्जिकल स्ट्राइक की तरह काम करना होगा। वहीं रमेश ने कहा कि भाजपा ने दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जारी प्रदर्शन का इस्तेमाल मतों के ''ध्रुवीकरण" के लिए किया। उन्होंने कहा, ''भले ही भाजपा नहीं जीती, लेकिन परिणाम कांग्रेस के लिए भी एक त्रासदी है।

वहीं रमेश ने बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में भी कांग्रेस का अस्तित्व नहीं है, उत्तर प्रदेश में यह लगभग विलुप्त होने की स्थिति में। लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मजबूत है वहीं हरियाणा में उसने वापसी की है। इन सबके बाद कांग्रेस को अपने  को पुर्नस्थापित करने के लिए रणनीति तैयार करनी चाहिए।