नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच चीन को बड़ा झटका लगने जा रहा है। चीन में कारोबार कर रही करीब एक हजार कंपनियां चीन से रूखसत होना चाहती है। अगर भारत सरकार चीन की तरह सुविधाएं इन कंपनियों को मुहैया कराती हैं तो आने वाले दिनों भारत इन कंपनियों के लिए अगला डिस्टेनेशन बन सकता है। हालांकि इन कंपनियों के लिए भारत के लिए चीन की सीमा से सटे कई अन्य देश भी विकल्प हैं। लेकिन भारत अन्य की तुलना में बेहतर विकल्प हो सकता है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन से करीब 1000 कंपनियां वहां से रूख करने की योजना बना रही है।  ये कंपनियां कोरोना संकट के बीच अपना कारोबार सिमटा कर अन्य देश में इसे स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।  भारत इन कंपनियों को विदेशी निवेश की नीतियों में बदलाव कर लुभा सकता है। क्योंकि भारत की तुलना में चीन ने कंपनियों को अच्छी सुविधाएं दी हैं।  लिहाजा भारत को नियमों में बदलाव कर इन कंपनियों के लिए रास्ता खोलना होगा।

कल ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा कि विदेशी निवेश को भारत में आकर्षित करने की जरूरत है और कोरोना संकट को एक आर्थिक अवसर के रूप में देखना चाहिए। हालांकि कहा जा रहा है कि चीन से रूख करने वाली कंपनियों के लिए भारत के अतिरिक्त अन्य देश भी विकल्प हैं। इन कंपनियों के सामने भारत के अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और वियतनाम जैसे विकल्प हैं। जहां ये कंपनियां अपने कारोबार को स्थापित कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि चीन की 1000 कंपनियां कोरोना वायरस संकट के बीच नए ठिकाने की तलाश में हैं।

हालांकि भारत सरकार ने अपने विदेशी निवेश की लचर बनाया है। इन कंपनियां की सबसे बड़ी शर्त ये है कि उन्हें चीन  की तरह सुविधाएं मुहैया कराई जाए। लेकिन किसी भी देश के लिए चीन की तुलना मुश्किल है। क्योंकि चीन में बाहर से आने वाली कंपनियां को काफी रियायतें दी जाती हैं। यहां पर लेबर से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक की सुविधाएं दी जाती हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कई मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स तथा सिंथेटिक फैब्रिक्स कंपनियां भारत को तवज्जो दे रही है और भारत को लेकर अपनी योजनाएं बना रही हैं।