प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन खबरों को खारिज कर दिया है जिनमें दावा किया गया था कि पीएम नरेंद्र मोदी के फिटनेस वीडियो को फिल्माने पर 35 लाख रुपये खर्च किए गए थे। पीएमओ ने सोमवार को कहा कि इस पर कोई पैसा खर्च नहीं किया गया। पूरा वीडियो प्रधानमंत्री कार्यालय के आधिकारिक कैमरामैन ने शूट किया है। 

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दरअसल, एक आरटीआई आवेदन में पूछा गया था कि इस वीडियो को बनाने का कांट्रैक्ट कितने में दिया गया। इस पर पीएमओ ने आरटीआई का जवाब देते हुए कहा, 'श्री नरेंद्र मोदी के वीडियो को शूट करने में कोई पैसा खर्च नहीं किया गया है। यह वीडियो प्रधानमंत्री आवास पर फिल्माया गया। इसकी वीडियोग्राफी पीएमओ के कैमरामैन ने की थी। वीडियो के लिए कुछ भी नहीं खरीदा गया।'

इस संबंध में एक वकील ने निखिल वाघले और ‘इंडिया स्कूप्स’ वेबसाइट की संपादक मेघा चौधरी को कथित तौर पर झूठे और अपमानजनक ट्वीट करने और पीएम तथा वीडियो को लेकर कथित तौर पर 'फर्जी' खबर छापने पर कानूनी नोटिस भेजा है। 

कुछ महीने पहले मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री मोदी का फिटनेस वीडियो शूट करने के लिए कथित तौर पर 35 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें पीएम की योग करते हुए विभिन्न मुद्राओं को फिल्माया गया था। 

इस रिपोर्ट के आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद शशि थरूर ने पीएम मोदी पर हमला बोला था। इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इस वीडियो को फिल्माने में कोई पैसा खर्च नहीं किया गया। 

हालांकि, यह पहली बार है जब पीएमओ ने इस मामले में प्रतिक्रिया दी है। खुद को पीएम का फालोअर बताने वाले वकील अंकित राज ने बाघले और वेबसाइट की संपादक को कानूनी नोटिस भेजा है। वकील का कहना है कि पीएम मोदी के खिलाफ लगाए गए आरोप 'न केवल झूठे थे, बल्कि तथ्यात्मक रूप से गलत एवं भ्रामक थे। ये बदनीयत का प्रमाण हैं।'

उधर, इन दोनों को भेजे गए कानूनी नोटिस के अनुसार, 'इस मामले में न तो कोई भरोसेमंद साक्ष्य हैं अथवा न ही जानकारी का कोई प्रमाणिक स्रोत है। यह आरोप आधारहीन तथ्यों के साथ लगाए गए हैं। साथ ही पोस्ट भी अपमानजनक है।'

'माय नेशन' ने भी वाघले से बात करने का प्रयास किया और उन्हें संदेश भी भेजा। लेकिन अभी तक उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। कानूनी नोटिस को लेकर ‘माय नेशन’ द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में ‘इंडिया स्कूप्स’ ने कहा, ‘मानहानि का मामला बनता ही नहीं है क्योंकि तथाकथित नोटिस फर्जी है।’ इसका जवाब देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
 
वेबसाइट की ओर से ईमेल से दिए गए जवाब में कहा गया है, ‘न तो इस नोटिस में कोई लैटर हेड है और न ही उक्त व्यक्ति ने अपने बारे में उचित जानकारी दी है। अगर वह व्यक्ति वकील है तो उसका बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन नंबर नोटिस में होना चाहिए। नोटिस पर वकील की मुहर अथवा सील जरूर होनी चाहिए।’
 
‘इंडिया स्कूप्स’के मुताबिक जो व्यक्ति कानूनी नोटिस भेज रहा है, उसे प्रधानमंत्री की ओर से नोटिस भेजने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है। जहां तक ‘मानहानि के मुकदमे का सवाल है तो यह वही व्यक्ति कर सकता है जिसकी मानहानि हुई हो अथवा वह पीड़ित पक्ष हो।’
 
‘माय नेशन’की ओर से वकील अंकित राज से ‘इंडिया स्कूप्स’ के दावों पर उनका पक्ष जानने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

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