नई दिल्ली। कहा जाता है जहां चाह वहीं राह। कुछ ऐसा ही कर दिखाया छत्तीसगढ़ के एक युवा किसान ने। जिन्होंने बाजार में बिकने वाली महंगी मशीन की तुलना में एक सस्ती मशीन को बना दिया। जिसकी कीमत को पढ़कर आप चौंक जाएंगे। क्योंकि  ये बाजार की तुलना में काफी कम कीमत पर उपलब्ध है।  फिलहाल खेतों में रसायन का छिड़काव के लिए इस मशीन को बनाया गया है।  इसी प्रकार की स्प्रे मशीनों की कीमत बाजार में पांच लाख रुपये तक है, किसान ने मशीन केवल 90 हजार रुपये में बना दी गई। फिलहाल मशीन को देखकर अन्य किसान इसे खरीद रहे हैं और अपनी खूबियों और कम कीमत के चलते इसकी मांग बढ़ गई है।

राज्य के दुर्ग जिले के ग्राम गनियारी निवासी किसान रितेश टांक ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि उन्हें अपनी फसल में लगे कीटों को खत्म करने के लिए दवाओं का छिड़काव करना मुश्किल हो रहा था और इसके लिए उन्हें काफी दिक्कत होती थी। खेतों में कीटों को खत्म करने के लिए छिड़काव मजदूरों के माध्यम से या ट्रैक्टर के जरिये यह काम कराना पड़ता, जिसमें खर्च बहुत आता। यानी लागत बढ़ जाती थी। इन सब कामों के लिए बाजार में स्प्रे मशीन की कीमत पांच-छह लाख रुपये तक थी। जो किसी आम किसान के बस की बात नहीं है। लिहाजा इस तरह की मशीन को विकसित करने के लिए वह खुद स्प्रे मशीन बनाने में जुट गए। करीब डेढ़ साल की मेहनत के बाद उन्हें आखिरकार सफलता मिली और 90 हजार रुपये में कारगर मशीन तैयार कर दी। रितेश का दावा है कि मशीन (टेक्नोस मिनी 2.0 मॉडल) की चौड़ाई मात्र 22 इंच है और ये देश में सबसे कम चौड़ाई वाली स्प्रे मशीन है। इस मशीन की खास बात ये है कि छोटी होने के बावजूद ये जो दोनों ओर पांच से छह फीट की दूरी तक छिड़काव करती है।

इस मशीन को बनाने के बाद रितेश इतने पर रुके नहीं और उन्होंने इसकी एक छोटीसी फैक्ट्री शुरू कर दी । जिसमें दस लोगों को रोजगार मिल गया है और कीमत इतनी ही रखी कि लागत निकल आए। आज उनकी बनाई गई मशीन की मांग राज्य के अतिरिक्त महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तक है और वह अब तक 300 से अधिक मशीनें बेच चुके हैं। इस काम के लिए रितेश की पढ़ाई काम आई। रितेश बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर चुके हैं और इसके बाद वह कृषि कार्य में जुटे तो अपनी और दूसरे किसानों की उक्त समस्या को चुनौती के रूप में लिया। रितेश का कहना है कि पहले वह हैंड स्प्रे मशीन से एक मजदूर की मदद से रोज एक ही  एकड़ की फसल पर ही दवा का छिड़काव कर पाते थे, लेकिन अब  वह एक ही दिन में सात एकड़ तक की फसल पर आसानी से छिड़काव करते हैं।