नई दिल्ली। कांग्रेस को मणिपुर में लगातार झटका लग रहा है। कभी राज्य में सरकार बनाने का सपना देख रही कांग्रेस राज्य में और ज्यादा कमजोर हो गई है। वहीं राज्य में पिछले दिनों कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पांच विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इन विधायकों को भाजपा में शामिल कराने के बाद राज्य में भाजपा की और ताकत बढ़ गई है। भाजपा में शामिल होने के बाद पांचों विधायकों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की।

ये पांच विधायक कांग्रेस के उन आठ विधायकों में शामिल हैं, जिन्होंने पिछले दिनों पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में हिस्सा नहीं लिया था। इस सत्र में भाजपा की एन बीरेन सिंह सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया था। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि ये विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि बाद में पांच विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपा था। फिलहाल विधानसभा में गैरहाजिर होने वाले कांग्रेस विधायकों में हेनरी सिंह, ओइनम लुखोई, मोहम्मद अब्दुल नासीर, पोनम ब्रोजन, नगमथांग होकिप और गिनसुआनहु शामिल हैं। इन विधायकों ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. इबोबी सिंह के नेृतत्व में काम करने से मना कर दिया था।

इन विधायकों का कहना है है कि चुनाव के बाद राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी और इसका सबसे बड़ा कारण विश्वास की कमी है। वहीं भाजपा का कहना है कि पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकारें लगातार विकास का काम कर रही है और मणिपुर में कांग्रेस ने बीजेपी की सरकार को गिराने के तमाम कोशिशें की। लेकिन कांग्रेस पार्टी इन साजिशों में सफल नहीं हो सकी। वहीं पार्टी के महासचिव राम माधव ने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाए लेकिन यही काम कांग्रेस मणिपुर में कर रही थी और वह  एन. बीरेन सिंह की सरकार को गिराने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी।