नरेंद्र मोदी सरकार दुआरा आरकॉम मामले को कोर्ट में चैलेंज करने के बाद पूर्व दूरसंचार मंत्री कपिल सिबल स्पेक्ट्रम पर आरकॉम की बैंक गारंटी को बचाने के लिए संघर्ष के रहे हैं। इस केस में यह समझना थोड़ा मुश्किल हो रहा है कि आखिर ब्याज को लेकर इतना झगड़ा क्यों हो रहा है।

स्पेक्ट्रम पर भुगतान देनदारियों के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) से बैंक गारंटी में 2,940 करोड़ रुपये की अपनी मांगों को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की। न्यायमूर्ति एके सिक्री ने केंद्र की याचिका को स्वीकार करते हुए मंगलवार को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।

केंद्र का यह कदम आरकॉम- जियो सौदे के लिए रास्ता बना सकता है, जो आरकॉम की ऋण संकल्प योजना का हिस्सा है। यह सौदा मंजूरी के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) के समक्ष लंबित पड़ा हुआ है।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने अदालत से कहा कि केंद्र बकाया स्पेक्ट्रम के लिए किसी तरह की सुरक्षा की तलाश में था। उन्होंने यह भी कहा कि दूरसंचार दिशानिर्देश में स्पष्ट रूप लिखा है कि सरकार केवल बैंक गारंटी के द्वारा ही बकाया राशि को सुरक्षित कर सकती है। इसके लिए किसी अन्य विधि को अपनाया नहीं जा सकता है। 

लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार आरकॉम के वकील सिब्बल ने कहा कि कंपनी भुगतान करने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि यह दिवालिया की स्थिति में पहुंच चकी थी। 

उन्होंने कहा कि मैं बैंक गारंटी नहीं दे सकता हूं। अगर इस सौदे को इजाजत नहीं मिली तो बहुत सारी संस्थाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। बैंक के जो लेनदार सुरक्षित हैं वे भी खतरे में आ जाएंगे और सौदा भी नहीं हो पाएगा।

लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त में आॅरकाम ने कहा था कि उसने रिलायंस जियो के साथ 3,000 करोड़ रुपये के फाइबर की बिक्री के अलावा 2,000 करोड़ रुपये के अपने मीडिया अभिसरण नोड्स और उसे संबंधित आधारभूत संरचना संपत्तियों की बिक्री पूरी कर ली है। हालांकि लेनदेन को मंजूरी देने से पहले डीओटी की बैंक गारंटी की मांग के बाद स्पेक्ट्रम की बिक्री फंस गई थी।

राफले सौदे पर कांग्रेस पार्टी बहुत गम्भीरता से काम कर रही है। सिब्बल समेत कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने अनिल अंबानी के पक्ष में मोदी सरकार को निशाना बनाया है और घोटाला की संभावना जताई है। यह वही सिब्बल है, जो इस बार दूसरे मामले में अंबानी के वकील बनकर उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं और मोदी सरकार उनके विरोध में खड़ी है।