राफेल विमान सौदे को लेकर लोकसभा में  दिए बयान से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुश्किल में घिर गए हैं। फ्रांस सरकार ने राहुल के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने खुद उन्हें  बताया था कि इसमें गोपनीयता का कोई करार नहीं है। फ्रांस और भारत के बीच ऐसा कोई करार नहीं हुआ। 

फ्रांस की ओर जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'हमारे संज्ञान में आया है कि राहुल गांधी ने भारत की संसद में एक बयान दिया है। फ्रांस और भारत ने 2008 में एक सुरक्षा समझौता किया था। यह दोनों देशों को सहयोगियों द्वारा दी गई गोपनीय सूचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य बनाता है, क्योंकि इससे  भारत अथवा फ्रांस के रक्षा उपकरणों की ऑपरेशनल क्षमता प्रभावित हो सकती है। ये प्रावधान 23 सितंबर, 2016 को दोनों देशों के बीच हुए करार में भी स्वतः ही लागू होते हैं। यह करार फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की उनके हथियारों समेत खरीदारी से संबंधित है। '

बयान में कहा गया है, 'फ्रांस के राष्ट्रपति ने एक भारतीय चैनल को नौ मार्च, 2018 को दिए साक्षात्कार में भी यही बात दोहराई थी। भारत और फ्रांस में जब कोई अत्यधिक संवेदनशील करार होता है तो इसकी सभी जानकारियां सार्वजनिक नहीं की जातीं।'

भाजपा के सांसद प्रह्लाद जोशी ने पहले ही इस दावे को लेकर लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। फ्रांस सरकार के आधिकारिक बयान के बाद राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

राहुल अब भी अपने दावे पर अड़े

राहुल गांधी फ्रांस सरकार के बयान के बावजूद अपने दावे पर अड़े हैं। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के साथ फ्रांसीसी राष्ट्रपति से मिले थे। 

क्या कहा था राहुल गांधी ने...

लोकसभा में राहुल ने दावा किया था कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें खुद बताया था कि राफेल सौदे में कोई गोपनीयता करार नहीं है। राहुल ने कहा, रक्षा मंत्री ने देश से झूठ बोला। वह किसे बचाने का प्रयास कर रही हैं? उन्हें देश को बताना चाहिए। राहुल ने कहा, 'पीएम मोदी के उद्योगपतियों से संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। इनमें से एक को राफेल का कांट्रैक्ट दिया गया। इस व्यक्ति को 45,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया गया।' हालांकि उनके इस दावे की रक्षा मंत्री ने यूपीए सरकार के दौरान रक्षा मंत्री रहे एंटनी की हस्ताक्षर वाला दस्तावेज दिखाकर पोल खोल दी थी।