पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली का आज दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। मोदी-1 में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का श्रेय जेटली को ही जाता है। जेटली ने राजनीति पारी की शुरूआत दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र राजनीति से की थी और उसके बाद वह देश की राष्ट्रीय राजनीति के बड़ा चेहरा बन गए थे। जेटली ने क्रिकेट की राजनीती में हाथ आजमाया और सफल भी रहे। वह दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के साथ बीसीसीआई के उपाध्यक्ष भी रहे। जेटली को संसदीय राजनीति का संकट मोचक माना जाता है।

डीयू से की छात्र राजनीति की शुरूआत

अरुण जेटली ने दिल्ली विश्वविद्यालय ने राजनीति जीव की शुरूआत की और वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी के सदस्य थे। अरुण जेटली श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र थे और यहां पर  छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद उन्होंने एलएलबी किया और साल 1974 में एबीवीपी के प्रत्याशी के तौर पर डीयू के अध्यक्ष बने।

आपातकाल में गए जेल

अरूण जेटली आपातकाल में जेल भी गए उन्हें सरकार का विरोध करने पर दिल्ली की तिहाड़ जेल में 19 महीने के लिए बंद रखा गया था और इसी दौरान उनकी मुलाकात उस दौर की दिग्गज हस्तियों के साथ हुई और उन्हें सक्रिय राजनीति में आने के प्रेरित किया। 

कांग्रेस के खिलाफ प्रचार

देश से आपातकाल हटने के बाद हुए चुनाव में जेटली में साल 1977 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ जमकर प्रचार किया और इसके जरिए उन्होंने अपने को राजनीति में भी सक्रिय किया। चुनाव के बाद कांग्रेस को हार मिली और देश में जनता पार्टी की सरकार बनी। इन चुनावों में अरुण जेटली ने लोकतात्रिक युवा मार्चा के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर देशभर में चुनाव प्रसार किया।

एबीवीपी से पहुंचे भाजपा में 

असल में जेटली एबीवीपी और  लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के कार्यकर्ता के तौर पर कार्य कर चुके थे और इसके बाद उन्हें भाजपा में 1980 में शामिल किया गया। राजनीति के साथ साथ जेटली वकालत भी करते थे। एक सफल वकील के तौर पर उनकी पहचान बढ़ती ही जा रही थी। अरुण जेटली को साल 1991 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया गया।

जनता दल सरकार में रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल

अरुण जेटली केन्द्र की जनता दल सरकार में देश के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए थे। इस सरकार को भाजपा ने भी समर्थन दिया था। उन्हीं के कार्यकाल में बोफोर्स केस सामने आया था जिसने देश की राजनीति को हिला दिया था।

क्रिकेट राजनीति में भी आजमाया हाथ

अरूण जेटली ने क्रिकेट की राजनीति में हाथ आजमाया और वह बीसीसीआई के उपाध्यक्ष भी चुने गए। हालांकि वह काफी अरसे तक  डीडीसीए के अध्यक्ष भी रहे।

अटल सरकार में पहली बार बने कैबिनेट मंत्री

अरुण जेटली पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिने मंत्री बने थे। हालांकि पहले उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था लेकिन बाद में  कानून न्याय और कंपनी मामलों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

भाजपा के महासचिव बने

अरूण जेटली की सांगठनिक क्षमता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव के पद पर नियुक्त किया था और 2006 में उन्हें गुजरात से राज्यसभा भेजा गया। इसके बाद वह साल 2009 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। 

मोदी का मिला साथ

केन्द्र में पीएम नरेन्द्र मोदी की 2014 में सरकार बनने के बाद अरूण जेटली को लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी वित्त मंत्री जैसे अहम पदों पर नियुक्त किया। असल में जेटली ही वह पहले नेता थे., जिन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर उतारा था और उनका पूरा साथ दिया। मोदी भी जेटली पर विश्वास करते थे और उन्हें भाजपा का संकटमोचक कहा जाता था। खासतौर से संसदीय राजनीति में