गोरखपुर। गोरखपुर जनपद के रामगढ़ ताल थाना क्षेत्र के पैडलेगंज- रुस्तमपुर रोड पर स्थित ईशु नर्सिंग होम में मृत मरीज का भी इलाज होता है। इसका खुलासा बुधवार को तब हुआ जब जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने ज्वाइंट आपरेशन चलाया। नर्सिंग होम में कोई भी ट्रेंड डॉक्टर नहीं मिला। डिप्लोमा डिग्री वाला स्टाफ गंभीर से गंभीर मरीजों का इलाज कर रहा था। मृत मरीज के बेटे से तो यहां के स्टाफ ने लाखों रुपए इलाज के नाम पर जमा करा लिए। जांच में पता चला कि नर्सिंग होम संचालक मेडिकल माफिया गैंग है, जो बीआरडी मेडिकल कालेज में आने वाले मरीजों और तीमारदारों को बरगलाकर पाने अस्पताल में लेट थे और अनाप शनाप पैसे ऐंठते थे। पुलिस ने कुल आठ लोगो को गिरफ्तार किया है।

ज्वाइंट ऑपरेशन पर हुआ सनसनीखेज खुलासा
मेडिकल कॉलेज के सामने से मरीज और उनके तीमारदारों को बरगलाकर प्राइवेट नर्सिंग होम में ले जाया जा रहा है इसकी शिकायत पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को लगातार मिल रही थी। जिसके आधार पर जिलाधिकारी गोरखपुर कृष्णा करुणेश, एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर और एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई की टीम ने बुधवार को ईशु नर्सिंग होम में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस का जॉइंट ऑपरेशन किया। जांच पड़ताल में पता चला कि इस नर्सिंग होम के संचालक टीम बीआरडी कॉलेज की गेट के आसपास रहते हैं और वहां आने वाले ग्रामीण क्षेत्र एवं बिहार के गरीब परेशान मरीज और तीमारदारों से मिलकर झांसा देते हैं। उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बजाय प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करने के लिए तैयार कर लेते हैं और फिर अपने नर्सिंग होम में ले जाकर भर्ती करा देते हैं। फिर मन माने तरीके से रुपए वसूलते हैं। इलाज के नाम पर ठगी के इस कारोबार का भंडाफोड़ होने के बाद हड़कंप मच गया।

पत्नी संचालिका, पति, देवर बने थे डॉक्टर
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि अस्पताल की संचालक रेनू यादव और उसका पति नितिन यादव है। देवरिया के रहने वाले राम ईश्वर ने बताया कि उसके पिता शिव बालक प्रसाद गैस खाकर गिर गए थे जिससे उन्हें चोट लग गई थी। उन्हें सबसे पहले सदर अस्पताल ले गया जहां एक घंटा इलाज चल और फिर से उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया राम ईश्वर अपने पिता को सरकारी एंबुलेंस से पीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर गया उसका कहना एक जैसे ही उसने कॉलेज गेट के पास व्हीलचेयर से पिता को नीचे उतर वैसे ही प्राइवेट एंबुलेंस चलाने वाला एक व्यक्ति उसे मिल गया उसने पर्चा वगैरा उससे मांग कर देखा और बोला कि यहां पर जगह नहीं है गोरखनाथ अस्पताल लेकर जाओ या सुनकर रामेश्वर परेशान हो गया वह प्राइवेट एंबुलेंस से पिता को गोरखनाथ हॉस्पिटल लेकर गया तो वहां पर भी एडमिशन नहीं मिला वहां से उसे फ़ातिमा नर्सिंग होम ले जाने के लिए कहा गया।

प्राइवेट एंबुलेंस ड्राइवर के जरिए फंसाए जाते थे लोग
तब प्राइवेट एंबुलेंस वाले ने कहा कि फातिमा हॉस्पिटल में भी डॉक्टर नहीं मिलेगा। उसके परिचित का एक अस्पताल है। वहां उसके पिता का बेहतर इलाज हो जाएगा। राम ईश्वर को वह ईशु हॉस्पिटल में ले गया। जहां उसके पिता की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी। राम ईश्वर बार-बार वहां मौजूद स्टाफ से डॉक्टर को बुलाने के लिए कहता था लेकिन कोई ध्यान नहीं देता था इस दौरान उसके पिता की मौत हो गई बावजूद इसके नर्सिंग होम संचालक नितिन और उसके भाई अमन यादव ने मृतक के मुंह में ऑक्सीजन मास्क लगाकर उसके जिंदा होने का दावा कर रहे थे।

मुर्दे के मुंह पर आक्सीजन मास्क लगाकर ऐंठे लिए लाखों रुपए
दवा और इंजेक्शन के नाम पर राम ईश्वर को 75000 का बिल थमा दिया। उसने बताया कि अपने पिता के इलाज के लिए उसने पहले ₹5000 जमा किया। फिर 20000 दिया फिर 50000 का बिल बना दिया गया जब छापा पड़ा तो उसके पिता की मौत हो चुकी थी बावजूद इसके अस्पताल का स्टाफ उसके पिता को ऑक्सीजन सपोर्ट वेंटिलेटर पर रखे हुए था। उसने कहा कि पिता के इलाज के नाम पर उससे लाखों रुपए ऐंठ लिए गए।

नर्सिंग होम संचालक समेत आठ गिरफ्तार
एसपी ने बताया कि छापेमारी के दौरान नर्सिंग होम संचालक, प्रबंधक एंबुलेंस चालक समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि यह नर्सिंग होम रेनू यादव पत्नी नितिन यादव संचालित कर रही थी। नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन डॉ. रंजय प्रताप सिंह के नाम से है। इस अस्पताल में रेनू के साथ उसका पति नितिन यादव और भाई अमन यादव भी बताओ डॉक्टर काम करते थे।