भाजपा के लिए बड़ा चुनावी दांव माने जा रहे सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दस फीसदी आरक्षण देने का विधेयक कल लोकसभा में पास हो गया, लेकिन अब सरकार की असल परीक्षा आज राज्यसभा में है. जहां उसके पास पूरा बहुत नहीं है. हालांकि कल लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 323 मत पड़े तो विरोध में महज 3 मत ही पड़े. लिहाजा ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी विपक्ष इस विधेयक के पक्ष में मत देगा. 

असल में केन्द्र सरकार के इस विधेयक का कोई विरोध नहीं पा रहा था. हालांकि राजनैतिक दलों ने चुनाव से पहले इस विधेयक को लाने की मंशा पर सवाल किए. लेकिन सरकार के लिए यही राहत वाली बात है कि सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया है. इसके लिए केन्द्र सरकार ने कल सभी राजनैतिक दलों से बातचीत की और फिर उसके बाद इसे लोकसभा में रखा. वहीं सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से ज्यादा के आरक्षण के आदेश के मद्देनजर सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है.

कल लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 323 मत तो इसके खिलाफ महज 3 मत पड़े. जिसको लेकर सरकार उत्साहित है. सरकार को उम्मीद है कि राज्यसभा में भी कोई दल इसका विरोध नहीं करेगा और यह सर्वसम्मिति से पास होगा. कल विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जताई गई और पूर्व में पीवी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गयी. वहीं सरकार ने कहा कि कि यह विधेयक न्यायिक समीक्षा में टिकेगा क्योंकि इस विधेयक के जरिये संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में संशोधन किया गया है.

उन्होंने कहा कि संविधान की मूल प्रस्तावना में सभी नागरिकों के विकास के लिए समान अवसर देने की बात कही गयी है और यह विधेयक उसी लक्ष्य को पूरा करता है. भाजपा की तरफ से वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा कि कांग्रेस सहित विभिन्न दलों ने अपने घोषणापत्र में इस संबंध में वादा किया था कि अनारक्षित वर्ग के गरीबों को आरक्षण दिया जाएगा.