फिलहाल केन्द्र सरकार के एक फैसले के बाद इन वैज्ञानिकों के वेतन से कटौती शुरू हो गयी है। असल में इसरो के वैज्ञानिकों को दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि की इजाजत राष्ट्रपति ने दी थी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने भी सैद्धांतिक तौर पर सहमति दी थी। 1996 से लगातार वैज्ञानिकों को दो अतिरिक्त वेतनमान मिल रहा है।
नई दिल्ली। पूरे दुनियाभर में भारत की अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने के लिए प्रशंसा हो रही है। इन वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए। लेकिन केन्द्र सरकार के एक फरमान के बाद अब इन वैज्ञानिकों का वेतन कटौती की जा रही है। फिलहाल लोकसभा में ये मामला सामने आने के बाद सरकार की किरकिरी हो रही है।
फिलहाल केन्द्र सरकार के एक फैसले के बाद इन वैज्ञानिकों के वेतन से कटौती शुरू हो गयी है। असल में इसरो के वैज्ञानिकों को दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि की इजाजत राष्ट्रपति ने दी थी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने भी सैद्धांतिक तौर पर सहमति दी थी। 1996 से लगातार वैज्ञानिकों को दो अतिरिक्त वेतनमान मिल रहा है।
लेकिन केन्द्र सरकार के नए फरमान के बाद इन चंद्रयान-2 भेजने वाले वैज्ञानिकों की वेतन कटौती शुरू हो गयी है। ये देश से बाहर न जाए, इसलिए सरकार ने इन वैज्ञानिकों को दो अतिरिक्त वेतन देने का फैसला किया था।
ऐसा नहीं है कि इन वैज्ञानिकों को हाल ही के दिनों में ये वेतनमान दिया गया हो, ये वेतनमान इन वैज्ञानिकों को 1996 बाद से दिया जा रहा है। ये आदेश अंतरिक्ष विभाग ने लागू किया था।
केंद्र सरकार के हालिया आदेश में साफ किया गया है कि 1996 से मिल रहा अतिरिक्त वेतनमान रोका जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने 12 जून 2019 को एक जारी एक आदेश जारी करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को साल 1996 से मिल रहे दो अतिरिक्त वेतनमान की वृद्धि को रोका जा रहा है।
फिलहाल सरकार के इस फैसले की हर जगह पर आलोचना हो रही है।
क्योंकि सरकार ने ये फैसला उस वक्त किया है जब इसरो के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में भारत की लंबी छलांग लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। आज उनकी मेहनत के बदौलत ही भारत की दुनियाभर में धाक जम गयी है।
बहरहाल चंद्रयान-2 मिशन के वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती का मामला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य मोतीलाल वोरा ने उठाया है। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिकों को सफलता पर बधाई दे रहा है,
ऐसे में भारत सरकार उनके वेतन में कटौती कर रही है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए। लेकिन वेतन कटौती कर सरकार उन्हें एक तरह से दंडित कर रही है। गौरतलब है कि 22 जुलाई को चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 एम1 के जरिए प्रक्षेपित किया गया था।
उधर वैज्ञानिकों के संगठन स्पेस इंजीनियर्स एसोसिएशन ने इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवन को पत्र लिखकर वेतन कटौती को रोकने के लिए केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है।
Last Updated Jul 31, 2019, 8:18 AM IST